नई दिल्ली:राजधानी में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है. आवारा कुत्तों द्वारा बच्चों को नोचे जाने की खबरें विचलित तो करती ही हैं, सरकारी विभागों की लापरवाही भी उजागर करती हैं. आवारा कुत्तों के खौफ से बच्चों और बुजुर्गों का घर से निकलना दूभर है. अधिकारी कुछ कदम उठाते भी हैं तो एनिमल एजीओ वाले उन्हें काम नहीं करने देते हैं.
एनजीओ के हस्तक्षेप से निगम पार्षद भी बेबस हैं. एनजीओ के लोग उन पर एनिमल क्रुएलिटी का केस करने की धमकी देते हैं. दिल्ली के जामिया नगर, ओखला, बदरपुर, महरौली, मुनिरका, रानीबाग, न्यू मोतीनगर, कर्मपुरा, भारत नगर, सीलमपुर, दिलशाद गार्डन, आश्रम, हजरत निजामुद्दीन, सीमापुरी, दिलशाद कॉलोनी, भजनपुरा, जैतपुर, शाहीन बाग समेत तमाम इलाकों में आवारा कुत्तों की समस्या गंभीर बनी हुई है. अधिकारियों का कहना है कि टीकाकरण व नसबंदी का काम निगम की ओर से एनजीओ वालों को दिया जाता है. लेकिन वे ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, इसलिए कुत्तों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है.
एमसीडी के वेटरनरी विभाग में 15 साल से नहीं हुई भर्तीःराजधानी में जगह-जगह कुत्तों की संख्या बढ़ने का कारण यह भी है कि दिल्ली नगर निगम के वेटरनरी विभाग में पिछले 15 सालों से भर्ती नहीं हुई है. निगम पार्षद राजपाल सिंह ने बताया कि पहले एमसीडी के हर जोन में 12 से 15 लोगों की टीम होती थी. यह टीम आवारा कुत्ते, बंदर, गाय समेत अन्य मवेशियों को पकड़कर शेल्टर होम पहुंचाती थी.
विभाग के कर्मचारी एक-एक कर रिटायर होते गए और नई भर्ती हुई नहीं. इस कारण अब कर्मचारियों की संख्या हर जोन में दो से तीन के बीच रह गई है. अब यह विभाग पूरी तरह से एनजीओ पर निर्भर हो गया है और एनजीओ वाले निगम से फंड लेते हैं लेकिन काम नहीं कर रहे हैं. राजपाल सिंह ने बताया कि दिल्ली सरकार निगम को फंड नहीं दे रही है जिस कारण निगम में भर्तियां नहीं हो पा रही हैं. अब तो निगम में भी आम आदमी पार्टी की सत्ता है फिर भी निगम को फंड नहीं मिल रहा है.
वसंत कुंज और जामिया नगर में कुत्ते ले चुके हैं मासूमों की जानःजामिया नगर में वर्ष 2015 में सात साल के मासूम को पांच-छह कुत्तों ने नोंचकर मार डाला था. बच्चे के साथियों ने कुत्तों को भगाने का प्रयास किया तो कुत्तों ने उन्हें भी दौड़ा लिया था. इस घटना के बाद लंबे समय तक लोगों ने उधर जाना बंद कर दिया था. वहीं पिछले माह वसंत कुंज में आवारा कुत्तों ने दो सगे भाइयों को नोच कर मार डाला था. इसी इलाके में पिछले सप्ताह आवारा कुत्तों ने रंगपुरी पहाड़ी में एक और बच्चे को बुरी तरह से नोचा था. इलाज के बाद अब वह स्वस्थ है.
निगम पार्षदों के पास आती हैं शिकायतेंःकुत्तों से परेशान लोग निगम पार्षदों के ऑफिस व नगर निगम के अधिकारियों से शिकायत करते हैं. बुजुर्ग पार्क में मॉर्निंग-इवनिंग वॉक करने, मंदिर या कहीं और जाते हैं तो उन्हें आवारा कुत्ते काट लेते हैं या गिरा देते हैं. दरअसल नगर निगम के पास आवारा कुत्तों को रखने के लिए पर्याप्त संख्या में शेल्टर होम नहीं हैं. न ही कुत्तों के इलाज के लिए पर्याप्त अस्पताल हैं. कुत्तों को मोतियाबिंद हो जाता है तो उन्हें रात में दिखाई नहीं देता है, जिससे वे आक्रामक हो जाते हैं.