दिल्ली

delhi

By

Published : May 22, 2022, 8:43 PM IST

ETV Bharat / state

आज से दिल्ली में एक नगर निगम, विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार ने संभाला कार्यभार

दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एकीकृत कर दिया गया है. नए नियुक्त विशेष अधिकारी और कमिश्नर के लिए यह बड़ा चैलेंज होगा कि वे आर्थिक बदहाली के भंवर में फंसी हुई नगर निगम को अनगिनत समस्याओं से कैसे बाहर निकालते हैं. विपक्ष लगातार इस फैसले को लेकर बीजेपी पर हमला बोल रही है. पढ़ें पूरी खबर..

आज से दिल्ली में एक नगर निगम
आज से दिल्ली में एक नगर निगम

नई दिल्ली.आज यानी 22 मई 2022 से दिल्ली के अंदर नगर निगम की वस्तुस्थिति पूरी तरीके से बदल गई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा निकाले गए नोटिफिकेशन के बाद दिल्ली में एकीकृत नगर निगम आज से दोबारा अस्तित्व में आ गई है. एकीकृत नगर निगम के विशेष अधिकारी आईएएस ऑफिसर अश्वनी कुमार और कमिश्नर ज्ञानेश भारती ने अपने पद की जिम्मेदारी भी संभाल ली है.

तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल में 2011 के अंदर दिल्ली की एकीकृत नगर निगम को तीन भागों में विभाजित किया गया था. जिसके बाद से लगातार दिल्ली की तीनों नगर निगमों में से दो उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम आर्थिक बदहाली के भयावह दौर से गुजर रही थी. यहां तक कि कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा था. जिसके पीछे एक बड़ा कारण तीनों निगमों में संसाधनों का असंतुलित बंटवारा और राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त मात्रा में फंड जारी ना किया जाना बताया जा रहा था.ऐसे में केंद्र सरकार ने दिल्ली नगर निगम को दोबारा एकीकृत करने का फैसला लिया है, ताकि बिगड़ते हालातों को सुधारा जा सके.

एकीकृत हो चुकी दिल्ली नगर निगम की गतिविधियों को भलीभांति तरीके से चलाने के लिए विशेष अधिकारी के तौर पर गृह मंत्रालय ने 1992 एजीएमयूटी बैच के आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार का नियुक्त किया है. उन्होंने अपना पदभार आज से संभाल लिया है. अश्विनी कुमार के साथ 1998 बैच के एजीएमटी यूपी बैच के ही आईएएस अधिकारी ज्ञानेश भारती को एकीकृत निगम के कमिश्नर की जिम्मेदारी मिली है. वे पहले से दक्षिण दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर की अतिरिक्त जिम्मेदारी निभा रहे थे.


पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद ही दिल्ली नगर निगम के विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार ने कमिश्नर ज्ञानेश भारती और निगम के सभी वरिष्ठ आला अधिकारियों के साथ एक बेहद महत्वपूर्ण बैठक ली. बैठक लगभग 2 घंटे तक चली. बैठक के अंदर अश्विनी कुमार ने ना सिर्फ सभी निगम के आला अधिकारियों का परिचय लिया बल्कि निगम की वर्तमान परेशानियों को भी जानने का प्रयास किया. चाहे आर्थिक वित्तीय बदहाली हो या कर्मचारियों की समस्याएं, उन सभी समस्याओं के ऊपर चर्चा हुई है. उम्मीद हैं कि आने वाले कुछ दिनों में कुछ बड़े और ठोस निर्णय लिया जा सकते है.


दिल्ली नगर निगम की बात की जाए तो निगम शुरू से ही राजधानी दिल्ली में बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है. नागरिकों के जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा जैसी कुछ अन्य जरूरी सुविधाएं निगम मुहैया कराती है. 2011 से पहले दिल्ली के अंदर एक ही नगर निगम हुआ करती थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय शीला दीक्षित ने दिल्ली नगर निगम को बेहतर बनाने और सुविधाओं को सरल तरीके से नागरिकों तक पहुंचाने के मद्देनजर निगम का बंटावारा कर दिया गया.

यह ऐसा पहली बार हो रहा था जब देश में किसी स्थानीय निकाय को तीन भागों में विभाजित किया जा रहा हो. उस समय इस पूरी योजना को लेकर जमकर विरोध भी किया गया. उसके बावजूद भी शीला दीक्षित ने दिल्ली की एकीकृत नगर निगम को उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी तीन अलग-अलग छोटी स्थानीय निकायों में बांट दिया. शीला दीक्षित का यह तर्क था कि नगर निगम को तीन भागों में बांटने के बाद ना सिर्फ दिल्ली को बेहतर तरीके से निगमों के द्वारा मेंटेन किया जा सकेगा बल्कि निगम की आर्थिक रूप से ना सिर्फ स्वावलंबी बनेगी.

दिल्ली नगर निगम को 272 भागों में विभाजित किया गया. जिसमें से 102 वार्ड दक्षिण दिल्ली नगर निगम और 102 वार्ड उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हिस्से में आया. जबकि 64 वार्ड पूर्वी दिल्ली नगर निगम के हिस्से में आये थे. इसके साथ ही तीनों नगर निगमों में संसाधनों अस्पताल और निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ चल अचल संपत्ति का भी बंटवारा किया गया था. इस पूरे बंटवारे को लेकर उस समय भी सवाल उठे थे लेकिन तमाम विवादों और विरोध के बीच दिल्ली नगर निगम का विभाजन कर दिया गया.

जब 2012 में निगम के चुनाव हुए तो उसमें बीजेपी को अप्रत्याशित जीत मिली और तीनों नगर निगमों में भाजपा की सरकार बनी. इसके बाद तीनों निगमों में आर्थिक बदहाली की समस्या पैदा होना शुरू हो गई. इस बीच दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए और कांग्रेस को जबरदस्त झटका लगा और नए राजनीतिक दल के रूप आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन कर सरकार चलाई, जो49 दिन चली. जिसके बाद सरकार गिर गई. इसके बाद लगभग 1 साल तक दिल्ली में कोई सरकार नहीं रही और फिर 2015 में चुनाव हुए. जिसमें आम आदमी पार्टी को अप्रत्याशित जीत मिली और 67 विधायकों वाली सरकार दिल्ली में चुनी गई.

ये भी पढ़ें :दिल्ली में अस्तित्व में आई एकीकृत निगम, विशेष अधिकारी के साथ निगम कमिश्नर के संभाला कार्यभार

आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही लगातार बीजेपी शासित एमसीडी और आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार के बीच में आरोप प्रत्यारोप की राजनीति होती रही और दिल्ली की तीनों नगर निगमों की आर्थिक बदहाल स्थिति बद से बदतर होने लगी. यह स्थिति लगातार 2017 तक बनी रही. जब दोबारा 2017 में नगर निगम के चुनाव हुए तो इस बार के चुनाव में दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने केंद्र से सीधा निगमों के लिए फंड लाने की बात की और कई लोक लुभावने वादे भी किए.बीजेपी को एक बार फिर लगातार तीसरी बार नगर निगम के चुनाव में अप्रत्याशित जीत मिली.

2017 से लेकर 2022 का दिल्ली नगर निगम का जो कार्यकाल रहा बेहद खराब है. अगर सिर्फ दक्षिण दिल्ली नगर निगम को छोड़ दिया जाए तो पूर्वी दिल्ली नगर निगम हो या उत्तरी दिल्ली नगर निगम दोनों ही नगर निगम के शिक्षक, सफाई कर्मचारी, नाला बेलदार, माली समेत सभी एबीसीडी और कॉन्ट्रैक्ट श्रेणी में कार्यरत कर्मचारियों को अपने वेतन के लिए ना सिर्फ समय-समय पर हड़ताल पर जाते दिखे बल्कि सड़कों पर सफाई कर्मचारियों ने कूड़ा फेंककर विरोध प्रदर्शन भी किया.

ऐसी ही ज़रूरी और विश्वसनीय ख़बरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

ABOUT THE AUTHOR

...view details