नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा को डिजिटलाइज करने की योजना में देरी को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जताए गई एतराज के बाद सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल अपना पक्ष रखेंगे. गत 20 जुलाई को केंद्र सरकार की तरफ से इस पर देरी और निष्क्रियता को लेकर नाराजगी जताई गई थी. संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव ने उपराज्यपाल (LG) सचिवालय को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था. इस पर उपराज्यपाल ने संज्ञान लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा था. पत्र मिलने के बाद मामले पर अभी तक विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। इसलिए उन्होंने क्या कार्यवाही की? वह आज बताएंगे.
डिजिटलाइज के लिए मिला था आठ साल का समय
बीते दिनों संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव ने उपराज्यपाल सचिवालय को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप कर राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (NeVA) परियोजना को क्रियान्वित करने का आग्रह किया था. साथ ही इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए धन का इस्तेमाल करने का भी अनुरोध किया था. गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा को छोड़कर देश की सभी 37 विधान सभाओं व परिषदों ने सदन के डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया को या तो पहले ही लागू कर दिया, या इसे शुरू कर दिया है. इससे पहले फरवरी में संसदीय कार्य मंत्रालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर NeVa परियोजना को पूरा करने के लिए कहा था.
योजना को पूरा होने से होंगे ये फायदे 2019 में दिल्ली सरकार योजना से अलग हो गयी
वर्ष 2019 में दिल्ली सरकार ने NeVa परियोजना से अलग होने का निर्णय लिया था. उस समय उसने कहा था कि 20 करोड़ की लागत से ई-विधान परियोजना को दिल्ली सरकार अपने बजट से विकसित करेगी. दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने वर्ष 2020 में 13 मई को दिल्ली के कानून मंत्री कैलाश गहलोत को लिखे पत्र में यह स्वीकार किया था कि दिल्ली विधानसभा को तत्काल डिजिटलाइजेशन की जरूरत है। इससे विधानसभा को पेपरलेस करने के अलावा अन्य और कई फायदे होंगे. लेकिन हकीकत यह है कि दिल्ली सरकार 2019 ने इस परियोजना पर कुछ नहीं किया है.
जानिए परियोजना के संबंध में
वर्ष 2015 में देश की विधानसभाओं को डिजिटलाइजेशन करने के लिए महत्वाकांक्षी नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (NeVA) परियोजना लाई गई थी. इसके तहत देश की सभी विधानसभाओं में कामकाज को डिजिटल और पेपरलेस बनाना था. लेकिन 8 साल बीत जाने के बावजूद अब तक दिल्ली विधानसभा में इसे लागू नहीं किया गया. दिल्ली विधानसभा देश की एकमात्र ऐसी विधानसभा है, जहां ई-विधान एप्लीकेशन परियोजना को लागू करने की दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से सौ प्रतिशत फंड मुहैया कराया जा रहा था, लेकिन 2019 में आप सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली आर्थिक और तकनीकी मदद को लेने से इनकार कर दिया.
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