नई दिल्ली:डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (SOL) के जरिए छात्र डिस्टेंस के साथ अपनी एजुकेशन पूरी कर सकते हैं. जिसमें हर 1 साल में छात्रों को करीब 20 क्लास दी जाती है. यह क्लास शनिवार-रविवार के दिन लगती हैं. लेकिन छात्रों का ये कहना है कि एक कोर्स को अच्छे से पास करने के लिए कक्षाओं की संख्या पर्याप्त नहीं है. इसे बढ़ाए जाने की जरूरत है.
छात्रों कई साल से अपनी मांग उठा रहे हैं कि SOL में लगने वाली कक्षाओं की संख्या को 20 से बढ़ाकर ज्यादा किया जाए. जिससे छात्र अच्छे से नियम के अनुसार शिक्षा ग्रहण कर सके.
SOL छात्रों की मांग का करे ख्याल कुछ विषय किताबों से पढ़ कर नहीं समझ आते
इस विषय पर ईटीवी भारत ने SOL में पढ़ रहे छात्रों से बात की. छात्रों ने बताया कि जो क्लास लगती है वह नियमित रूप से नहीं होती. केवल रविवार की क्लास एक कोर्स को पास करने के लिए पर्याप्त नहीं होती. छात्रों का कहना है कि कई विषय होते हैं जो कि केवल किताबों से पढ़कर नहीं समझे जा सकते. इनके लिए क्लास आना जरूरी होता है.
कक्षाओं के सेंटर होते हैं काफी दूर
कुछ छात्रों का कहना है कि क्लास के लिए सेंटर काफी दूरदराज लगाए जाते हैं. ऐसे में छात्रों को आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस तरीके की सुविधा की जानी चाहिए कि जो छात्र जिस इलाके में रह रहा है. उसके आस-पास के ही स्कूल या कॉलेज में उसका सेंटर रखा जाए. जिससे वह दूर जाने के लिए बाध्य ना हो.
SOL से छात्रों की मांग -
- नियमित हो SOL क्लासेज
- क्लासेज की बढ़ाई जाए संख्या
- क्लास के सेंटर नजदीक हो
कक्षाओं के लिए सेंटर को ठेका
बच्चों की शिकायत पर ईटीवी भारत ने SOL के स्टाफ काउंसिल के सेक्रेटरी प्रोफेसर जे. खूंटियां से बात की. सेक्रेटरी ने बताया कि ही कुछ सालों से कक्षाओं को लेकर नियम बदले गए हैं.
अब SOL की जो क्लासेज लगती हैं. उसके लिए सेंटर स्कूल या कॉलेज के प्रिंसिपल को प्रशासन की तरफ से एक तय रकम दे दी जाती है. जिसके बाद वह अपने अनुसार क्लास लगाते हैं. जिससे ना तो छात्रों को दी जा रही क्लास और ना शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में पता चल पाता है.
डीयू के टीचर नहीं लेते क्लास
प्रोफेसर ने बताया कि पहले SOL में टीचरों की संख्या अधिक थी. हर विषय के टीचर हुआ करते थे. जो छात्रों को दी जा रही कक्षाओं के बारे में जानकारी रखते थे. छात्रों को दी जाने वाली क्लास और उनके बारे में जांच करते थें.
इसी के साथ छात्रों को पढ़ाने के लिए SOL या डीयू के ही टीचर जाते थे. लेकिन अब जो सेंटर है वह अपने मुताबिक टीचरों को पढ़ाने के लिए भेजते हैं.
SOL की तरफ से बदले गए नियमों का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. कक्षाएं नियम के अनुसार नहीं लग रही है. साथ ही जो उन्हें शिक्षा दी जानी चाहिए वह भी SOL के अनुसार नहीं है.