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जानिए कैसे भारत में दी जाती है फांसी, कौन-कौन होता है इस प्रक्रिया में शामिल

कल यानी शुक्रवार को निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दी जाएगी. इसको देखते हुए फांसी देने के लिए तिहाड़ प्रशासन ने फांसी का फंदा तैयार करवा लिया है. जिसको मुलायम बनाने के लिए मोम लगाकर एक बक्से में रख दिया गया है.

soft noose designed for nirbhaya case convicts hanging in tihar jail in delhi
फांसी के लिए तैयार किया गया मुलायम फंदा

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Published : Mar 19, 2020, 4:05 PM IST

नई दिल्ली:तिहाड़ जेल में बंद निर्भया के दोषियों की गुरुवार की रात जेल में आखिरी रात होगी. क्योंकि कल यानी की शुक्रवार सुबह 5:30 बजे तिहाड़ जेल के जेल नंबर 3 में इन्हें फांसी दी जाएगी. फांसी देने के लिए तिहाड़ प्रशासन ने फांसी का फंदा तैयार करवा लिया है. जिसको मुलायम बनाने के लिए मोम लगाकर एक बक्से में रख दिया गया है.

फांसी के लिए तैयार किया गया मुलायम फंदा

फंदे को किया है मोम लगाकर मुलायम

बता दें कि कल फांसी से 3 घण्टे पहले फंदे को बक्से से निकाला जाएगा. जिसके बाद जेल प्रशासन फांसी की प्रक्रिया शुरू करता है, जो इस प्रकार है. जेल नंबर-3 में बने फांसी घर में शुक्रवार तड़के 3:00 बजे से हलचल शुरू हो जाएगी. सेल से दोषियों को फांसी घर तक लाया जाएगा इसके बाद फांसी की प्रक्रिया में ना केवल जल्लाद बल्कि यहां मौजूद सभी लोगों कि कुछ ना कुछ भूमिका होगी.

कल ढाई से 3 घण्टे तक होगी फांसी की पूरी प्रक्रिया

बता दें कि दोषी को जिस दिन फांसी दी जाती है. उसे उस दिन फांसी पर लटकाने के तह समय से पहले ढाई घंटे पहले ही जगा दिया जाता है. जिसके बाद उन्हें लगाया जाता है. इस दौरान वहां जेल के अधीक्षक, उप अधीक्षक, मेडिकल ऑफिसर, जिला उपायुक्त और 12 सुरक्षाकर्मी व एक सफाई कर्मी मौजूद रहते हैं.

फंदे पर लटकने से पहले पूछी जाएगी अंतिम इच्छा

दोषियों के नहाने के बाद दोषियों से उनकी आखिरी इच्छा पूछते हैं. इसके बाद जल्लाद दोषियों को काले कपड़े पहनाता है और उनके हाथ पीछे बांधकर फांसी घर की छत पर ले जाता है. छत पर पहुंचने के बाद जल्लाद कैदियों के गले में फांसी का फंदा डालता है. और उनके पैरों को रस्सी से बांध देता है. जब जल्लाद अपने सारे इंतजाम कर लेता है. उसके बाद वह जेल अधीक्षक को ऊपर से ही आवाज देता है और बताता है कि उसके सभी इंतजाम पूरे हो चुके हैं.

इशारा करते ही चारों लटका दिए जाएंगे

जिसके बाद जेल अधीक्षक जल्लाद को हाथ हिलाकर इशारा करते हैं. इशारा मिलते ही जल्लाद लीवर को खींच देता है जिससे एक ही झटके में कैदी फांसी पर झूल जाते हैं. इसके 2 घंटे बाद मौके पर मौजूद मेडिकल ऑफिसर फांसी घर के अंदर जाकर ही सुनिश्चित करते हैं. कि फांसी पर झूल रहे शख्स की मौत हुई है या नहीं. दोषी की मौत के बाद मेडिकल ऑफिसर इस बात का सर्टिफिकेट जारी करता है कि अब मौत हो चुकी है. जिसके बाद फांसी की प्रक्रिया पूरी मानी जाती है.

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