नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा:गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा एवं साहित्य विभाग द्वारा हिंदी दिवस के मौके पर व्याख्यान एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान सामाजिक विज्ञान संकाय की डीन प्रो. बंदना पांडेय ने कहा कि देशवासियों को अपने अंदर हिंदी को जीवंत करना चाहिए और विभिन्न सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर अपनी भाषा में ही संदेशों को लिखना चाहिए.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति रवींद्र कुमार सिन्हा ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी भाषा के महत्व पर कहा कि भारत की आजादी में हिंदी भाषा ने विशेष योगदान दिया. वर्तमान में हम आर्थिक व विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति कर रहे हैं, जिसके साथ भारत अपनी भाषा में भी उन्नति कर रहा है. वैश्विक स्तर पर भारत की मजबूती के साथ-साथ हमारी भाषा को भी मजबूती मिल रही है, इसलिए सभी को अपने जीवन हिंदी का प्रयोग बढ़ाना चाहिए.
वहीं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विश्वास त्रिपाठी ने अपने व्याख्यान हिंदी अस्मिता एवं भाषायी विमर्श पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी राष्ट्र के गौरव का सम्मान है. हिंदी जीवंत भाषा है, जिसने सबको समेटा है. हिंदी भाषा ने राजनीतिक सीमाओं को तोड़कर हमें संस्कृति से जोड़ा है. वर्तमान दौर में हमारे शब्द मर रहे हैं, जो कि हिंदी की अस्मिता पर खतरा है. उनके अलावा भारतीय भाषा एवं साहित्य विभाग के प्राध्यापक डॉ. दिवाकर गरवा ने हिंदी की समृद्धि में लोग भाषाओं का योगदान विषय पर व्याख्यान किया. इस मौके पर विभिन्न विभागों के प्राध्यापक छात्र-छात्राएं एवं कर्मचारी उपस्थित रहे.
जमिया में शुरू हुआ हिंदी पखवाड़ा:वहीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर मीर अनीस हॉल में 'हिंदी पखवाड़ा' का उद्घाटन समारोह आयोजित किया किया. इस इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक एवं जवाहरलाल अध्ययन केंद्र की मानद निदेशक प्रो. इंदु वीरेंद्रा ने अतिथियों, शिक्षकों एवं उपस्थित कर्मचारियों का स्वागत करते हुए 'हिंदी पखवाड़ा' के लक्ष्य एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. इस पखवाड़े के अंतर्गत 14 सितंबर से 29 सितंबर तक विभिन्न प्रतियोगिताओं और गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा और समापन समारोह में प्रतियोगिताओं के विजेताओं को नकद पुरस्कार राशि और प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे.
प्रो. इंदु वीरेंद्रा ने कार्यालयों में राजभाषा हिंदी को अधिक से अधिक प्रयोग करने की अपील करते हुए कहा कि जब तक हम हिंदी का उपयोग पूर्ण रूप से नहीं करेंगे, तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो सकता है. उनके अलावा प्रो. चंद्र देव सिंह यादव ने हिंदी भाषा की व्यापकता एवं उसके वैश्विक परिदृश्य की चर्चा की और राजभाषा के रूप में हिंदी वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला. वहीं प्रो. गिरीश चंद्र पंत ने संस्कृत को हिंदी की जननी के रूप में रेखांकित करते हुए बोली जाने वाली भाषा के रूप में हिंदी की व्यापकता पर चर्चा की.