नई दिल्ली:JNU कैंपस में गुरुवार को द कश्मीर फाइल्स फिल्म का स्क्रीनिंग रखा गया. फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान कैंपस में हर तरफ लाशें ही लाशें दिखाकर घटना का रिक्रियेशन किया गया. इस दौरान वहां का माहौल बेहद भयभीत करने वाला था. आयोजकों का कहना है कि इस फिल्म को दिखाने और ऐसा माहौल तैयार करने का मकसद यही था कि भारत की सरकार और भारत में रहने वाला हर इंसान कश्मीरी पंडितों के साथ कश्मीर में 1990 में हुए दर्दनाक हादसे को न भूले. कश्मीरी पंडितों की कई संस्थाओं के साथ-साथ एबीवीपी द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसमें हर तस्वीर की अपनी एक अलग दर्दनाक कहानी है. आयोजकों में से एक शख्स से सुनते हैं दिल दहला देने वाली घटनाओं के बारे में.
JNU में द कश्मीर फाइल्स की स्क्रीनिंग, कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का किया गया रिक्रियेशन
बता दें 19 जनवरी 1990 को क़श्मीरी पंडितों के ऊपर बहुत जुल्म हुआ था. जिसके बाद वहाँ से बड़ी संख्या मे क़श्मीरी पंडित अपना सब कुछ छोड़कर पलायन कर गए थे. गुरुवार को जेएनयू में द कश्मीर फाइल्स फिल्म की स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया.
बता दें 19 जनवरी 1990 को क़श्मीरी पंडितों के ऊपर बहुत जुल्म ढहा था. जिसके बाद वहाँ से बड़ी संख्या मे क़श्मीरी पंडित अपना सब कुछ छोड़कर पलायन कर गए थे. आज उस मंजर का यहां पर रीक्रियेशन किया गया और उस दर्द को महसूस किया गया. कार्यक्रम में उस समय के बहुत पीड़ित लोग शामिल हुए. यहां पर डिबेट का भी आयोजन हुआ और लोगों को बताया गया कि उस समय का क्या मंजर था. धारा 370 पर भी चर्चा हुई उसके रद्द होने पर लिए खुशी जाहिर की गई. साथ ही सरकार से शिकायत भी थी कि अभी भी हालात बहुत अच्छे नहीं हुए हैं. जो लोग उस समय वहाँ से पलायन कर गए थे वे वहां वापस जाना चाहते हैं लेकिन जब हालात सुधरे तब.