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Sawan Kalashtmi 2023: कब है सावन कालाष्टमी ? जानें तिथि, महत्व और पूजा विधि - Shiv Kumar Sharma

सावन माह की कालाष्टमी 9 जुलाई को पड़ रही है. इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप बाबा काल भैरव की पूजा होती है. भैरवनाथ के इस व्रत को रखने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं. उपासक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

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Published : Jul 7, 2023, 2:21 PM IST

पंडित शिव कुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू धर्म में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. सावन मास की कालाष्टमी 9 जुलाई 2023 (रविवार) को पड़ रही है. रविवार को कालाष्टमी (Sawan Kalashtmi Vrat) का व्रत रखा जाएगा. कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप बाबा काल भैरव की विधि-विधान से पूजा की जाती है. सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. ऐसे में सावन मास में पड़ने वाली कालाष्टमी का महत्व बढ़ जाता है.

कालाष्टमी के दिन बाबा काल भैरव की पूजा-अर्चना करने से सभी प्रकार के कष्ट और दोष दूर होते हैं. पापों से मुक्ति मिलती है. साथ ही घर से नकारात्मक शक्तियां दूर होती है. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है. कालाष्टमी का का व्रत अकाल मृत्यु हरता है और दीर्घायु प्रदान करता है.

ज्योतिषाचार्य और आध्यात्मिक गुरु, शिव कुमार शर्मा के मुताबिक कालाष्टमी पर भगवान शिव की पूजा मां पार्वती के साथ करें. ऐसा करना दीर्घायु के लिए शुभ होता है. अकाल मृत्यु हरने वाला होता है. सभी प्रकार की विषम परिस्थितियों से निकलने का रास्ता मिलता है. कालाष्टमी के दिन शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र का जाप, भगवती माता के मंत्रों का जाप और भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए.

शिव पार्वती और भैरव की पूजा के बाद निराहार व्रत रहें और शाम को एक समय मीठा भोजन करें. ऐसा करने से इच्छित फल प्राप्त होते हैं. मां भगवती और शिव की कृपा प्राप्त होती है. भैरवनाथ के इस व्रत को रखने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भैरवनाथ जीवन के विघ्न दूर करने के साथ ही बाधाओं का निवारण करते हैं.

० कालाष्टमी मुहूर्त

सावन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ: 9 जुलाई 2023 (रविवार) रात 07:59 बजे से शुरू.

सावन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त: 10 जुलाई 2023 (सोमवार) शाम 06: 43 बजे समाप्त.

कालाष्टमी 09 जुलाई 2023 (रविवार) को मनाई जाएगी.

० पूजा विधि

कालाष्टमी के दिन सुबह प्रातकाल उठकर स्नान करें. स्नान आदि से निवृत होकर साफ सुथरे कपड़े पहनें. घर के मंदिर की सफाई करें और दीप प्रज्वलित करें. मंदिर में भगवान शिव के रौद्र अवतार या काल भैरव की मूर्ति की स्थापना करें. भगवान शिव की प्रिय वस्तुएं - दूध, दही, शहद, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, खीर अथवा हलवे का भोग लगाएं. शराब आदि नहीं चढ़ानी चाहिए.

० ना करें ये काम

कालाष्टमी के दिन किसी की निंदा या चुगली ना करें. घर में कलह का वातावरण न बनाएं. वाणी का नकारात्मक प्रयोग ना करें. किसी को झूठा आश्वासन ना दें. महिला, गुरु व किसी बड़े का अपमान न करें. इस दिन कल भैरव के मंत्र का 108 बार जाप करें. ऐसा करने से भय से मुक्ति मिलती है.


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