नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में अस्पताल निर्माण कार्य को लेकर दिल्ली सरकार और एलजी विनय कुमार सक्सेना आमने-सामने आ गए हैं. एलजी जहां दिल्ली सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने कई अस्पताल के निर्माण कार्य को समय पर पूरा नहीं किया. अगर किया होता तो कोविड के दौरान मरीजों को अस्पताल में बेड लेने के लिए परेशानी नहीं होती. एलजी ने इस संबंध में सीएम केजरीवाल को पत्र भी लिखा है. एलजी के इस पत्र के बाद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी एलजी को पत्र लिखकर उन पर निशाना साधा है.
सौरभ ने कहा कि दिल्ली में अस्पताल के निर्माण कार्य में देरी को लेकर आपका पत्र गुरुवार को मिला. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन अस्पताल के निर्माण कार्य में देरी को लेकर उपराज्यपाल सवाल कर रहे हैं, वे पहले इन परियोजनाओं के तथ्यात्मक इतिहास और वर्तमान स्थिति के बारे में जान लेते. बस दिल्ली सरकार पर आरोप लगा दिया कि यदि इन अस्पतालों का निर्माण पूरा हो गया होता तो उनके बेड्स का उपयोग कॉविड महामारी के दौरान किया गया होता. सौरभ ने कहा कि एलजी बस निराधार आरोप लगा रहे हैं, जिसका कोई आधार नहीं है. सौरभ ने कहा कि जिन परियोजनाओं को लेकर वह सवाल उठा रहे हैं. उन परियोजनाओं की स्थिति की समीक्षा के लिए 16 जून को एक बैठक बुलाई थी. इसके लिए बैठक का नोटिस 13 जून को जारी किया गया था. बैठक में स्वास्थ्य विभाग और लोक निर्माण विभाग द्वारा इन परियोजनाओं की शुरुआत की तारीख और उनके पूरा होने की मूल तारीख और उनके पूरा होने की संशोधित तारीख शामिल है.
सौरभ ने परियोजना के बारे में बताया
सौरभ ने कहा कि सिरसपुर में अस्पताल के निर्माण कार्य की शुरुआत अगस्त में हुई, जिसमें 1140 बेड्स से बढ़ाकर 1340 किया जा रहा है. सितंबर 2023 तक इस कार्य को पूरा करना था, जिसे अब मार्च 2024 में पूरा किया जाएगा. इसी प्रकार ज्वालापुरी, मादीपुर, हस्तासल, शालीमार बाग, सुल्तानपुरी, रघुवीर नगर, सरिता विहार, किराड़ी, सीएनबीसी, जीटीबीएच, एलएनएच, एसआरएचसी सहित 24 प्वाइंट हैं, जहां अभी निर्माण कार्य चल रहा है और अभी इस परियोजना को पूरा करने में अभी सरकार के पास पर्याप्त समय है.
बिगड़ती कानून व्यवस्था को संभाले एलजी
सौरभ ने कहा कि लगता है एलजी को अस्पताल के निर्माण कार्य के संबंध में उनके अधिकारियों ने गलत सूचना दी है. मैं उनसे कहना चाहता हूं पहले इनमें से कई अस्पतालों की परिकल्पना विशेष रूप से कोविड रोगियों के लिए विशेष आईसीयू अस्पतालों के रूप में की गई थी. हालांकि, बाद में यह देखा गया कि महामारी की स्थिति में सुधार हुआ है और अब इनकी जरूरत नहीं है. इसलिए चल रहे निर्माण चरण के दौरान यह निर्णय लिया गया कि उन्हें सामान्य बहु-विशिष्ट अस्पतालों में तब्दील किया जा सकता है. फिर से इन निर्णयों के बाद योजनाओं, भवन डिजाइन और वास्तुशिल्प चित्रों में लगातार बदलाव होते हैं.
उन्होंने बताया कि इसमें कई प्रशासनिक प्रक्रियाएं शामिल हैं. यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि देश भर में अधिकांश परियोजनाओं को कोविड महामारी के दौरान नुकसान हुआ है. जैसा कि मैंने अपने लेटर में आंकड़े दिए हैं. इससे स्पष्ट है कि ये परियोजनाएं वर्ष 2020 के दौरान शुरू की गई थीं, इन्हें भी कोविड स्थिति का खामियाजा भुगतना पड़ा. यह तथ्य कि इन अस्पतालों की परिकल्पना कोविड अस्पतालों के रूप में की गई थी, यह साबित करता है कि इन्हें तब शुरू किया गया था, जब कोविड ने दिल्ली को बुरी तरह प्रभावित किया था. इससे यह भी साबित होता है कि एलजी का यह आरोप कि ये अस्पताल कोविड से बहुत पहले शुरू किये गये थे, तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है.