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9वीं क्लास के प्रश्नपत्र में पूछे गए सवालों से भड़के लोग, कहा- धार्मिक भावनाएं हुईं आहत - religious sentiments

असंवेदनशील प्रश्नों को लेकर शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को एक शिकायती पत्र लिखा है. जिसमें कहा गया है कि 'प्रश्न पत्र में किसी भी वाक्य शब्द को अगर समुचित तरीके से इस्तेमाल ना किया जाए, समाज के सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का ध्यान रखे बिना तो वहां समस्या खड़ी हो सकती है.

9वीं क्लास के प्रश्नपत्र में पूछे गए सवालों से भड़के लोग, कहा- धार्मिक भावनाएं हुईं आहत

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Published : Mar 9, 2019, 10:01 AM IST

नई दिल्ली: इन दिनों राजधानी के सरकारी स्कूलों में वार्षिक परीक्षा चल रही है. परीक्षा के दौरान सोशल साइंस के परीक्षा में पूछे गए सवालों को लेकर विवाद हो गया है. बता दें कि दिल्ली शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत आने वाले सरकारी स्कूलों में आयोजित हुई सोशल साइंस के परीक्षा में पूछे गए सवालों से टीचर और कई अभिभावक नाराज दिखे.
बताया जा रहा है कि क्लास 9th के सोशल साइंस प्रश्न पत्र में पूछे गए सवाल धार्मिक भावनाओं के खिला़फ हैं. इस प्रश्न पत्र में एक समुदाय के भगवान को ऊपर तो दूसरे समुदाय के भगवान को कमजोर दिखाने की कोशिश की गई है. जिसको लेकर शिक्षकों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.

'धार्मिक भावनाएं आहत'
बुधवार को सरकारी स्कूलों में हो रही परीक्षा के दौरान द्वितीय पाली में सोशल साइंस का पेपर हुआ था. कई शिक्षकों ने प्रश्न पत्र बनाने वालों के संवेदनशीलता पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि प्रश्न पत्र में पूछे गए सवाल से समाज की धार्मिक भावनाओं को आहत किया गया है.


बता दें कि बुधवार को आए सोशल साइंस के पेपर में पहला सवाल हिंदुओं के मान्य देवता श्री राम के बारे में था.
सवाल था कि -'राम के शासन में सभी निर्णय राजा द्वारा लिए जाते थे और उनमें जनता का योगदान नहीं होता था'. इसके लिए चार स्थितियां बताई गई थी और यह बताना था कि कौन सा स्वरूप लोकतंत्र का है. साथ ही इसके बारे में अपने तर्क भी लिखने थे.

शिक्षकों ने जताई आपत्ति
टीचरों ने कहा कि इसी तरह का एक दूसरा सवाल था. जिसमें भी चार स्थितियां दी गई थी और उसमें यह पहचानना था कि किस स्थिति में किसी व्यक्ति के मूल अधिकारों का हनन हो रहा है. इन चार स्थितियों के अंतर्गत एक प्रश्न था कि - 'सीता (जी) को गिरफ्तार हुए 2 साल हो गए लेकिन उन्हें अभी तक मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं किया गया'.
हालांकि इन सवालों में रामायण का कहीं उल्लेख नहीं किया गया लेकिन फिर भी दूसरे सवाल में सीता के नाम के आगे कोष्ठक में जी लिखने से इसे हिंदुओं की आराध्य देवी सीता से जोड़ा जा रहा है. जिसकी वजह से शिक्षकों ने इस पर आपत्ति जताई है.


'दंडनीय अपराध है'
इन असंवेदनशील प्रश्नों को लेकर शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को एक शिकायती पत्र लिखा है. जिसमें कहा गया है कि 'प्रश्न पत्र में किसी भी वाक्य शब्द को अगर समुचित तरीके से इस्तेमाल ना किया जाए, समाज के सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का ध्यान रखे बिना तो वहां समस्या खड़ी हो सकती है. क्योंकि इससे समाज के एक बड़े वर्ग की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं. यह आईपीसी के तहत भी दंडनीय अपराध है.'

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