नई दिल्ली/नोएडा : विश्व संवाद केंद्र एवं गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस गोष्ठी का आयोजन गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में किया गया, जिसमें अनुसूचित जाति के जो लोग मुसलमान या ईसाई हो गए हैं उन्हें क्या दलित आरक्षण में शामिल करना चाहिए. इस विषय पर यह गोष्ठी आयोजित की गई. दो दिन चलने वाली इस गोष्ठी में पूर्व न्यायाधीश, उपकुलपति व राजनयिकों सहित शिक्षा क्षेत्र के 150 से अधिक लोगों ने भाग लिया.
इस गोष्ठी में बोलते हुए विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि आरक्षण का आधार अस्पष्टता व इसके कारण उत्पन्न पिछड़ापन है. मुस्लिमों व ईसाइयों में जातिगत भेद व उत्पीड़न तो हो सकता है पर अस्पृश्यता नहीं है. वैसे भी मुस्लिमों को अन्य पिछड़ा वर्ग व आर्थिक आधार पर कमजोर लोगों को दिए जाने वाला आरक्षण भी प्राप्त है. उन्हें अल्पसंख्यक को को दी जाने वाली सुविधाएं भी प्राप्त हैं. इसीलिए उन्हें अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए.
कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए. कार्यक्रम में उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि धर्मांतरण हुए लोगों को आरक्षण दिया जाना गलत है. उन्होंने आरक्षण का विरोध करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति के जो लोग धर्मांतरण करके मुसलमान और ईसाई बन गए हैं उनकी पहचान कर उन्हें आरक्षण से वंचित किया जाना चाहिए.
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