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साहित्य अकादमी पुस्तक मेला: कमलजीत नीलों ने कहा, बाल पत्रिकाएं पढ़कर बदलता है पढ़ने का नजरिया

दिल्ली में साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित पुस्तक मेले बुधवार को कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इसमें लेखक से मिलिए कार्यक्रम में पंजाबी के प्रसिद्ध बाल साहित्यकार कमलजीत नीलों ने बच्चों से बातचीत की. कमलजीत नीलों ने कहा (kamaljit nilo said) कि बाल पत्रिकाएं पढ़कर पढ़ने का नजरिया (attitude of reading) बदल जाता है. उन्होंने अपनी कई रचनाएं रोचक अंदाज में पेश कीं.

साहित्य सम्मेलन पुस्तक मेला
साहित्य सम्मेलन पुस्तक मेला

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Published : Nov 17, 2022, 3:58 PM IST

नई दिल्ली : साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित किए गए ‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले (Sahitya Akademi Book Fair) के छठवें दिन अपने प्रिय लेखक से मिलिए, चर्चा एवं रचना-पाठ और कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए. अपने प्रिय लेखक से मिलिए कार्यक्रम के अंतर्गत बुधवार को पंजाबी के प्रसिद्ध बाल साहित्यकार कमलजीत नीलों ने बच्चों के साथ बातचीत की और अपनी विभिन्न रचनाओं को बड़े ही रोचक और मधुर आवाज में गाकर प्रस्तुत किया. अपनी बातचीत में उन्होंने कहा, मेरी रचनाओं में संवेदना भरने का श्रेय मेरे गांव की प्रकृति है. आज भी मैं जब उदास होता हूं तो मेरे गांव के पास बनी नहर और वृक्षों के पास चला जाता हूं. उन्होंने बच्चों से प्रकृति को प्यार करने और किताबों से दोस्ती करने का संदेश देते हुए कहा कि किताबें हमारी सच्ची दोस्त होती हैं. अतः हमें उनसे हमेशा संबंध बनाकर रखना चाहिए. एक छात्रा के सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि उनकी कविताओं और गीतों में लड़कियों के अधिकारों की बात इसलिए भी है कि हमने गांव के परिवेश में उनके साथ भेदभाव होते देखा है जो कि बिल्कुल उचित नहीं है.

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बच्चों में पढ़ने की प्रवृत्ति विकसित हो:चर्चा का सत्र ‘बाल पत्रिकाओं के भविष्य’ पर केंद्रित था. इस पर बोलते हुए हिंदी की प्रसिद्ध बाल पत्रिका ‘बाल वाटिका’ के संपादक भैंरूलाल गर्ग ने कहा कि हमारे समय में अनेकों बाल पत्रिकाएँ होती थी, जो धीरे-धीरे बंद हो गई हैं. यह माता-पिता का कर्त्तव्य है कि बच्चों को बाल पत्रिकाएँ खरीद कर दें, जिससे कि बच्चों में पढ़ने की प्रवृत्ति विकसित हो.पढ़ने की यही प्रवृत्ति आगे चलकर उन्हें जागरूक और संवेदनशील इंसान बनाती है.मलयाळम् के प्रसिद्ध बाल लेखक एस.आर. लाल ने मलयाळम् भाषा में बाल पत्रिकाओं की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया.सत्र की अध्यक्षता कमलजीत नीलों ने की और कहा कि बचपन को आगे तक अपने में जिंदा रखने के लिए बच्चों का बाल पत्रिकाओं और बाल साहित्य का पढ़ना बेहद जरूरी है.


18 नवंबर तक रहेगा पुस्तक मेला : रहने‘आजादी के रंग बाल कलाकारों के संग’ शीर्षक से आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शृंखला जो सीसीआरटी के सहयोग से आयोजित की जा रही है, में सत्रीया नृत्य (रूदाली बोरा), कुचीपुड़ी नृत्य (भामदी साइ श्रीशाह) और ओडिसी नृत्य (करिश्मा साहू) प्रस्तुत किए गए. 18 नवंबर 2022 तक जारी रहने वाला यह पुस्तक मेला पाठकों के लिए निःशुल्क है और सुबह 11.00 बजे से शाम 7.00 बजे तक खुला रहेगा.

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