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Kejriwal Bungalow Controversy: केजरीवाल के बंगले पर मचा बवाल, जानिए इसमें क्या है खास - अरविंद केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल जिस मकान में रहते हैं वो सीएम के तौर पर उनको सरकार ने दिया है. ये उनकी निजी संपत्ति नहीं है, लेकिन जैसा कि अब खुलासा हुआ है कि इसी मकान के रेनोवेशन और साज सज्जा पर पिछले तीन साल में 45 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

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Published : Apr 27, 2023, 7:05 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस सरकारी बंगले में रहते हैं, उस पर बड़ा बवाल छिड़ा हुआ है. मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी का आरोप है कि बंगले में सौंदर्यीकरण के नाम पर 45 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. अब इसको विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है. दिल्ली बीजेपी केजरीवाल के इस्तीफे तक की मांग की है. वहीं आम आदमी पार्टी का कहना है कि यह रकम बंगले के रेनोवेशन पर नहीं, बल्कि पुराने बगले को तोड़कर नए आवास बनाने पर खर्च हुआ है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री जिस तरह अपने आप को अपनी वेशभूषा और बातों से आम आदमी की छवि पेश करते हैं, लेकिन अंदर से वह जिस आलीशान बंगले में रह रहे हैं. इस पर बीते दो दिनों से दिल्ली की सियासत गरमा गई है. वर्ष 2013 में जब केजरीवाल दिल्ली के पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब सरकारी आवास के नाम पर वह एक छोटा सा फ्लैट ही चाहते थे. लेकिन फरवरी 2015 में जब दिल्ली में उनकी प्रचंड बहुमत से सरकार बनी. तब उन्होंने सरकारी बंगले के तौर पर सिविल लाइंस के 6 फ्लैग स्टाफ रोड स्थित इस बंगले को अपने लिए चुना.

केजरीवाल के बंगले के बाहर सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद

संबित पात्रा का केजरीवाल पर हमला: बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा के अनुसार, आम आदमी के सामने केजरीवाल ऐसे पेश आते हैं कि मानों वे निम्न वर्ग से ताल्लुक रखते हों. ऐसे चप्पल पहनना, ऐसे कपड़े पहनना और सस्ती सी पेन अपनी जेब में रखना. लेकिन अब उनके बंगले के सौंदर्यीकरण से जुड़ा जो मामला सामने आया है. यह केजरीवाल की पोल खोल कर रख दिया है. जानकारी के अनुसार इस आलीशान बंगले में लाखों रुपए के कालीन और करोड़ों रुपए के पर्दे, पत्थर जो सीधे वियतनाम से मंगवाए गए हैं, स्विमिंग पूल ऐसा की दिल्ली में गिने-चुने ऐसे स्विमिंग पूल होंगे.

केजरीवाल के लिए बनाया गया नया घर:लोक निर्माण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह सौंदर्यीकरण नहीं था. पुराने ढांचे के स्थान पर एक नया घर बनाया गया. खर्च लगभग 44 करोड़ रुपए हुए हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा ने कहा कि बंगले के रेनोवेशन पर 45 करोड़ खर्च करने की जो बात कही जा रही है, यह बिल्कुल गलत है. उन्होंने कहा कि यह घर तोड़ कर नया घर बनाने की अनुशंसा लोक निर्माण विभाग ने ही की थी.

सिविल लाइंस स्थित सीएम केजरीवाल का सरकारी बंगला

मुख्यमंत्री आवास 1942 में बना था. दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग ने ऑडिट के बाद इसके जीर्णोद्धार की रिपोर्ट दी थी. पुराने ढांचे के स्थान पर एक नया ढांचा बनाया गया है. सूत्रों द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज के अनुसार, निर्माण पर 43.70 करोड़ की स्वीकृति राशि के मुकाबले कुल 44.78 करोड़ रुपए केजरीवाल के सरकारी आवास पर खर्च हुए हैं.

बंगले के निर्माण पर खर्चा: दस्तावेज के अनुसार, केजरीवाल के बंगले के निर्माण कार्य के लिए पैसा 9 सितंबर 2020 से जून 2022 में जारी किया गया. कुल खर्च में 11.30 करोड़ों के आंतरिक साज-सज्जा में, 6.02 करोड़ रुपये पत्थर और मार्बल लगाने के इस्तेमाल पर, एक करोड़ रुपये इंटीरियर कंसल्टेंसी के लिए, 2.58 करोड़ रुपये बिजली संबंधित उपकरणों पर खर्च किए गए, 2.85 करोड़ रुपए अग्निशमन प्रणाली लगाने पर और 1.41 करोड़ रुपये वार्डरोब एसेसरीज सेटिंग पर खर्च किए गए. केजरीवाल के बंगले में दो किचन हैं, जिसके निर्माण में 1.1 करोड़ रुपये खर्च शामिल है.

बंगले पर करोड़ों रुपए खर्च: दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि केजरीवाल ने अपने बंगले पर यह रकम तब खर्च कि जब देश कोरोना की महामारी से जूझ रहा था. केजरीवाल तब रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगा रहे थे. वहीं, दूसरी तरफ जनता के टैक्स का पैसा वह अपने बंगले के निर्माण पर पानी की तरह बहा रहे थे. उन्होंने कहा कि केजरीवाल के आलीशान बंगले के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण पर 45 करोड़ रूपए का खर्च सिर्फ जनता के पैसे के दुरूपयोग नहीं है बल्कि इसमें एक बड़ा घोटाला भी हुआ है. केजरीवाल को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए.

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भ्रष्टाचार का मामला: सचदेवा ने कहा है कि तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन और पीडब्ल्यूडी के संबंधित मुख्य अभियंता की मिलीभगत से बिना पीडब्ल्यूडी सचिव या पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता को बताए कानूनी खामियों का इस्तेमाल कर इतना बड़ा खर्च किया गया. लोक निर्माण विभाग की कार्य नियमावली के तहत प्रावधान है कि कोई भी संबंधित मुख्य अभियंता पीडब्ल्यूडी मंत्री से तत्काल स्वीकृति लेकर आपात स्थिति में 10 करोड़ रुपये से कम के कार्यों के लिए बिना टेंडर किए कार्य आदेश जारी कर सकता है.

पहला वर्क ऑर्डर मूल्य 7.92 करोड़, दूसरा 1.64 करोड़, 9.09 करोड़, 8.68 करोड़ और 9.34 करोड़ के थे. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल के बंगले के सौंदर्यीकरण का पीडब्ल्यूडी मैनुअल में कानूनी खामियों का दुरुपयोग करने का मामला साफ तौर पर भ्रष्टाचार का मामला है और इसकी जांच की जरूरत है. मुख्यमंत्री दिल्ली वालों को बताएं कि क्यों खुले टेंडर निकाले बिना 45 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

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