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मीट कारोबारी केस: CBI को फटकार, कोर्ट ने पूछा- जांच में 10 साल लगेगा? - सीबीआई को फटकार

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई को फटकार लगाई है. दरअसल, सीबीआई मीट कारोबारी मोईन कुरैशी के मामले की जांच कर रही है. जिसको 4 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है. जिसको लेकर कोर्ट ने कहा कि क्या सीबीआई इस मामले में 10 साल का समय लेगी.

Rouse Avenue Court reprimanded CBI for slow investigation against meat trader Moin Qureshi
दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने लगाई सीबीआई को फटकार

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Published : Nov 17, 2020, 7:36 PM IST

Updated : Nov 17, 2020, 8:13 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मीट कारोबारी मोईन कुरैशी के खिलाफ धीमी जांच पर सीबीआई को फटकार लगाई है. स्पेशल जज संजीव अग्रवाल ने कहा इस मामले के चार साल पहले ही बीत चुके हैं, आप कितना समय लेंगे, सात साल या दस साल. मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी.

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने लगाई सीबीआई को फटकार
राकेश अस्थाना और देवेन्द्र कुमार को मिली है क्लीट चिट

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सीबीआई द्वारा अपने ही पूर्व डायरेक्टर्स के खिलाफ जांच करना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है. इस मामले में पिछले 7 मार्च को कोर्ट सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और देवेन्द्र कुमार को क्लीट चिट दे चुका है. पिछले 11 फरवरी को सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी. जिसमें इस मामले के आरोपी राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेन्द्र कुमार को क्लीन चिट दे दी गई थी.

बिचौलिये मनोज प्रसाद को आरोपी बनाया

इस मामले में सीबीआई ने बिचौलिये मनोज प्रसाद को आरोपी बनाया है. चार्जशीट में कहा गया था कि मनोज प्रसाद के भाई सोमेश प्रसाद औऱ एक और आरोपी सुनील मित्तल के खिलाफ अभी जांच पूरी नहीं हुई. पिछले 28 फरवरी को इस मामले के पूर्व जांच अधिकारी अजय कुमार बस्सी ने इस मामले में बड़े लोगों को बचाने का आरोप लगाया था. कोर्ट की ओर से जारी समन पर पेश हुए अजय कुमार बस्सी ने इस मामले के वर्तमान जांच अधिकारी सतीश डागर पर जांच में बड़े लोगों बचाने का आरोप लगाया था.

बस्सी और डागर ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए थे

सुनवाई के दौरान अजय कुमार बस्सी ने कहा था कि जब उसने अक्टूबर 2018 में इस मामले के मुख्य साजिशकर्ता मनोज प्रसाद से पूछताछ की तो उसने बड़े लोगों का नाम लिया, लेकिन सतीश डागर ने कभी भी उनसे पूछताछ नहीं की. इसका सतीश डागर ने जमकर विरोध किया. डागर ने बस्सी से कहा था कि मेरा इतिहास आपसे अच्छा है. व्यक्तिगत आरोप मत लगाइए. हमने जब आपको छह बार समन भेजा तो आपको जांच में सहयोग करना चाहिए था. आप कभी नहीं आए.
जांच पूरी करने में देरी पर फटकार लगाई थी.

जांच के आठ चरण का मतलब नहीं की आठ साल लगाए जाएं

बता दें कि पिछले 8 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच पूरी करने में देरी पर सीबीआई को फटकार लगाई थी. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से जांच पूरी करने के लिए बार-बार समय बढ़ाने की मांग करने पर सीबीआई को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा था कि जांच के आठ चरण हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आप आठ साल लेंगे.

आरोप गंभीर

हाईकोर्ट ने कहा था कि सतीश साना ने काफी गंभीर आरोप लगाए हैं. कोर्ट ने कहा कि धारा 17ए के तहत किसी लोकसेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार और लोकसेवा न करने के मामले में अभियोजन के लिए स्वीकृति लेने की जरूरत नहीं है. अस्थाना के खिलाफ केस सतीश साना से जुड़े एक मामले में दर्ज किया गया था. सतीश साना ही वह व्यक्ति है जिसने कुरैशी से जुड़ा अपना केस रफा-दफा कराने के लिए अस्थाना को 3 करोड़ रुपये रिश्वत देने का आरोप लगाया. साना का नाम आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को रिश्वत देने के आरोप में सामने आया था. साना के मुताबिक उससे रिश्वत की मांग की गई थी.


मामला रफा-दफा कराने के लिए रिश्वत देने का मामला

एफआईआर के मुताबिक मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद सतीश साना से दुबई में मिले और उसका मामला रफा-दफा कराने का आश्वासन दिलाया. साना दुबई का कारोबारी है. सीबीआई उसके खिलाफ मीट कारोबारी से संबंध को लेकर जांच कर रही है. कुरैशी साल 2014 के बाद से भ्रष्टाचार के केस में कई एजेंसियों के निशाने पर है. सीबीआई के मुताबिक 2 करोड़ रुपये का घूस सतीश ने खुद को 25 अक्टूबर 2018 तक बचाए रखने के लिए दी थी. 10 अक्टूबर 2018 को 25 लाख रुपये चुकाए गए और बाकी के पैसे 16 अक्टूबर 2018 तक चुकाने की बात हुई. सीबीआई ने 16 अक्टूबर को बिचौलिए मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया, जब वह बाकी के पौने दो करोड़ रुपए लेने भारत आया था.

Last Updated : Nov 17, 2020, 8:13 PM IST

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