नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली में इन दिनों ऊर्जा की बढ़ती खपत की समस्या को लेकर शोध कार्य चल रहा है. जिसका मुख्य उद्देश्य देश में सुरक्षित, स्थाई और रिन्यूएबल ऊर्जा स्रोत का उत्पाद करना है. जिससे हमारे इकोसिस्टम को बैलेंस रखा जा सके. वहीं आईआईटी निदेशक प्रो. वी रामगोपाल राव का कहना है कि ऊर्जा आपूर्ति के लिए उसका संरक्षण और समुचित इस्तेमाल जरूरी है. साथ ही कार्बन डाईऑक्साइड के इस्तेमाल को न्यूनतम करने की जरूरत है.
आईआईटी दिल्ली में कार्बन डाइऑक्साइड पर शोध इको फ्रेंडली, स्थायी और रिन्यूएबल ऊर्जा उत्पादन को लेकर शोध जारी आईआईटी दिल्ली द्वारा ऊर्जा के क्षेत्र में किये जा रहे गहन शोध के चलते कई सरकारी और गैर सरकारी संगठन सेंटर ऑफ एक्ससिलेन्स की स्थापना के लिए आगे आए हैं. वहीं ऊर्जा में किए जा रहे शोध को लेकर आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर वी. रामगोपाल राव ने कहा कि देश में बढ़ती जनसंख्या के साथ ऊर्जा की खपत भी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में कार्बन डाइऑक्साइड की खपत कम करने के लिए जरूरी है कि हम ऐसे ऊर्जा स्रोत की ओर अग्रसर हो जो स्थाई हो और जिसे रिन्यू भी किया जा सके. इसी को लेकर आईआईटी दिल्ली के अलग-अलग विभाग शोध कार्य में लगे हैं.
भविष्य के लिए ऊर्जा संरक्षण बड़ी चुनौती
वहीं रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डीन प्रोफेसर एसके खरे ने कहा कि आईआईटी दिल्ली में ऊर्जा संरक्षण को लेकर कई शोध कार्य जारी है. वहीं आईआईटी दिल्ली में चल रहे शोध कार्य में स्थाई ऊर्जा के स्रोतों की पूर्ति सबसे बड़ी चुनौती है. साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें कार्बन डाइऑक्साइड को कई महत्वपूर्ण उत्पादकों में तब्दील करना सबसे बड़ा विषय होगा .
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बायोगैस आधारित कार आईआईटी की सबसे सफल उपलब्धि
बता दें कि वाहनों में सबसे ज्यादा ऊर्जा का इस्तेमाल होता है. ऐसे में आईआईटी दिल्ली ने बायोगैस आधारित कार इजाद की है जो अब तक की आईआईटी की सबसे बड़ी और सबसे सफल उपलब्धि रही है. पिछले 6 सालों में बायोगैस आधारित कार 50 हजार किलोमीटर से अधिक का सफर तय कर चुकी है. साथ ही आईआईटी दिल्ली में बायोगैस के छोटे उद्योगों को भी बढ़ावा मिल रहा है. अब तक 7 उद्योग और कई गौशाला भी इससे लाभान्वित हो चुके हैं. एलपीजी और सीएनजी के विकल्प के तौर पर बायोगैस के इस्तेमाल को बढ़ावा देना आईआईटी के शोध का ही एक हिस्सा है.