नई दिल्ली:दिल्ली केचांदनी चौक स्थित जैन मंदिर के पास एक अस्पताल के बारे में आपने सुना होगा, जहां घायल पक्षियों का इलाज किया जाता है. लेकिन यहां सिर्फ शाकाहारी पक्षियों का इलाज ही होता है. इसके पीछे तर्क यह है कि यह अस्पताल जैन समुदाय द्वारा संचालित होता है. हालांकि कई बार जब चील जैसे बड़े पक्षी को इलाज के लिए लाया जाता है तो उसका भी इलाज कर दिया जाता है. लेकिन अन्य जानवरों के इलाज में मुश्किल आती है. इसके लिए जानवरों का एक रेस्क्यू सेंटर असोला भाटी वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में भी चलाया जा रहा है, जिसकी जानकारी बेहद कम लोगों को है.
सेंक्चुरी में चल रहा है रेस्क्यू सेंटर:दक्षिणी दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित असोला भाटी वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में जानवरों के लिए रेस्क्यू सेंटर चलाया जा रहा है. यहां पर दिल्ली सरकार के वन्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, सरकार का पहला रेस्क्यू सेंटर यहां पर चल रहा है. यहां पर घायल जानवरों का इलाज किया जाता है और जब जानवर स्वस्थ हो जाता है तो उसे सेंक्चुरी में रिलीज कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि यहां पर रेस्क्यू सेंटर के यहां होने से फायदा यह है कि जानवरों को भी जंगल जैसा माहौल मिल जाता है. सेंक्चुरी में कोविड के समय में जानवरों को कोरिंटाइन भी किया जाता था. खासतौर पर बंदरों को, जिसके बाद उन्हें रिलीज कर दिया जाता था. उन्होंने बताया कि बहुत से लोगों को नहीं पता है कि यहां पर रेस्क्यू सेंटर संचालित हो रहा है. हम चाहते हैं कि लोगों में इसकी जानकारी हो कि सेंक्चुरी में जानवरों को रेस्क्यू कर इलाज भी किया जाता है.
ये थी समस्या:दरअसल बर्ड्स चैरिटी हॉस्पिटल में रोजाना काफी संख्या में कबूतर, चिड़िया आदि पक्षियों को लाया जाता है. लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली की सड़कों पर घूमने वाले स्ट्रीट डॉग, बंदर एवं अन्य आवारा जानवर, इलाज से वंचित रह जाते थे. इन जीवों पर जब पशु प्रेमियों की नजर पड़ती, तो वे अपने खर्चे पर इनका इलाज कराते. सालों से पशु प्रेमी एक रेस्क्यू सेंटर की मांग करते रहें हैं. इस बारे में पशु प्रेमी विक्रम कोचर बताते हैं कि, कई बार हम देखते हैं कि किसी जानवर को सड़क पर चोट लग जाती है. समय पर इलाज नहीं मिलने से उनका घाव बढ़ता रहता है, जिससे उन्हें काफी पीड़ा होती है.