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मनपसंद जीवनसाथी चुनने के मामले में धार्मिक आस्था बाधा नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट - शादी करने का अधिकार संविधान में निहित

ऐसी घटनाएं आए दिन आती रहती हैं, जिसमें लड़की अपनी मर्जी से शादी करने पर उन पर अत्याचार करती है. इस मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की कि संविधान में लड़कियों को अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार (Right To Marry A Person of Choice) दिया गया है. साथ ही पुलिस को भी निर्देशित किया गया है.

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दिल्ली हाईकोर्ट

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Published : Oct 26, 2022, 4:10 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मनपसंद व्यक्ति से शादी करने का अधिकार (Right To Marry A Person of Choice) संविधान में निहित है. ऐसे में आस्था के सवालों (Questions of Faith) का जीवनसाथी चुनने के अधिकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. कोर्ट ने पुलिस को भी निर्देशित करते हुए कहा कि उम्मीद की जाती है कि पुलिस में ऐसे जोड़ों की सुरक्षा को लेकर संवेदनशीलता बढ़े, जिन्हें अपने परिवार या अन्य किसी व्यक्तियों से शादी करने के चलते खतरा है.

दिल्ली हाईकोर्ट एक व्यक्ति की हत्या के प्रयास के मामले की सुनवाई कर रहा था. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि पत्नी के परिवार वालों ने उसे अपहृत कर बंधक बना लिया और उसकी पिटाई की. इस दौरान धारदार हथियार से उसका प्राइवेट पार्ट भी काट लिया. परफेक्ट की पत्नी ने अपने परिवार के खिलाफ जाकर शादी की थी. न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने माना की पुलिस दंपती को सुरक्षा देने में असफल रही, ऐसे में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

लापरवाह पुलिस पर भी की टिप्पणी


दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि पुलिस से उम्मीद की जाती है कि वह ऐसे जोड़ों की सुरक्षा के लिए त्वरित और संवेदनशील कार्रवाई करेगी, जिन्हें खुद के परिजनों समेत अन्य लोगों से खतरा हो. न्यायालय ने पुलिस पर उंगली उठाते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि शिकायत के बावजूद संबंधित थाना लापरवाही बरतता है. सूचना मिलने पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती और न ही सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जाते हैं.

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जानिए क्या है आर्टिकल 21

बता दें, संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 21 के तहत भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को जीवन और स्वतंत्रता का यह मौलिक अधिकार दिया गया है.

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