नई दिल्ली:देश में बढ़ती महंगाई के मद्देनजर केन्द्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. जिसके तहत इंपोर्ट किए जाने वाले खाने का तेल पर अब अगले दो साल तक इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगेगा. केंद्र सरकार के इस फैसले का लेकर व्यापारी वर्ग और अर्थशास्त्रियों ने स्वागत किया है. उनक कहना है कि इस फैसले से तेल के दामों में गिरावट होगी और जनता को महंगाई से भी राहत मिलेगी.
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह केन्द्र सरकार का एक अच्छा फैसला है. इस तरह के निर्णय से देश में इन्फ्लेशन में कमी आएगी और जीडीपी को बढ़ाने में असरदार साबित होगा. देश के सबसे बड़े व्यापारी संगठनों में से एक "कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और इसकी एफलिएटेड संस्था अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापार महासंघ (एबीकेवीएम) ने एक संयुक्त बयान में जारी कर कच्चे सोयाबीन और कच्चे सूरजमुखी के आयात पर सीमा शुल्क हटाने के लिए केंद्र सरकार का धन्यवाद दिया है.
अर्थशास्त्री आकाश जिंदल ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में वर्तमान परिस्थितियों को देखा जाए तो इन्फ्लेशन को रिड्यूस करना काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है. रिटेल और सीपीआई इन्फ्लेशन देश में इस समय 7.79%है, जो बीते 8 साल में अपने शिखर पर है. ऐसे में केंद्र का यह फैसला काफी अच्छा है. यह जीडीपी की ग्रोथ को बढ़ाने में यह निर्णय साबित होगा. इधर, कैट ने सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को एक निगरानी तंत्र तैयार करना चाहिए जिसके तहत आयातकों को शुल्क उठाने से पहले और बाद में तैयार उत्पाद की कीमत के बारे में सूचित करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए, ताकि यह स्पष्ट हो कि उपभोक्ताओं तक लाभ पहुंचा है.