नई दिल्ली: भाजपा के संसदीय बोर्ड के सदस्य डॉ. सत्यनारायण जटिया ने कहा कि व्यवस्था के लिए अर्थ जरूरी है, जो इसका पोषक है, लेकिन अगर यह शोषक हो जाए तो समाज के लिए घातक है. जटिया दिल्ली विश्वविद्यालय के खेल परिसर के मल्टीपर्पज हाल में पुस्तक लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि ऋग्वेद में पूंजी कमाने को अच्छी बात माना गया है. अगर पैसा होगा तो सामाजिक कार्यों में भी लगेगा.
इस दौरान अर्थशास्त्री डॉ. बजरंग लाल गुप्ता द्वारा प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था पर लिखित 4 पुस्तकों “एन्सिएंट इंडियन इक्नोमिक्स थॉट एंड सिस्टम”, एन्सिएंट इंडियन सिस्टम ऑफ डिस्ट्रीब्यूटिव जस्टिस एंड फंडामेंटल्स ऑफ इक्नोमिक्स”, मार्केट एंड प्राइस सिस्टम इन एन्सिएंट इंडिया” और “वेजेस एंड इंटरेस्ट इन एन्सिएंट इंडिया” का लोकार्पण किया गया.
अर्थ धर्म युक्त होना चाहिएःडॉ. जटिया ने कहा कि अर्थ धर्म युक्त होना चाहिए. अर्थ ऐसा हो जिससे किसी का अनर्थ न हो. उसी के लिए प्राचीन काल में भी काफी व्यवस्थाएं बनाई गई थी. यह पुस्तकें उन व्यवस्थाओं को सामने लाने में मार्गदर्शन करेंगी. उन्होंने कहा कि श्रम का मूल्य सम्मानजनक होना चाहिए, लेकिन हम देखते हैं कि पूंजी का प्रभाव ज्यादा बढ़ा है, जबकि पसीने का कम. उन्होंने कहा भारत सरकार मेक इन इंडिया अभियान चला रही है. इससे भारत में बनी चीजें सारी दुनिया में जाएगी. पुरातन व्यवस्थाएं हमारे प्राण हैं और पुरातन व्यवस्था को समझने के लिए ये पुस्तकें महत्वपूर्ण हैं.
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