नई दिल्ली:बीते साल हजारों लोगों को प्रभावित करने के बाद दिल्ली में एक बार फिर सीलिंग का 'जिन्न' आ गया है. अमर कॉलोनी में सीलिंग के आदेश ने जहां एक तरफ लोगों को डराना शुरू कर दिया है, तो वहीं दूसरी और इस मुद्दे को भुनाने के लिए राजनीतिक पार्टियां ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहीं है. आम आदमी पार्टी और बीजेपी इसमें सबसे आगे चल रही हैं.
आदेश के बावजूद सीलिंग नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग कमेटी कोर्ट पहुंच गई है. साथ ही इसमें साउथ एमसीडी के रोल पर सवाल उठाए गए हैं. पूछा गया है कि सीलिंग नहीं करने को लेकर जिन प्रावधानों का जिक्र किया गया है, वो निगम को पहले याद क्यों नहीं आए? सवाल ये भी उठा कि ऐसे में उन लोगों को हर्जाना कौन देगा, जिनकी इमारतों को पिछले साल सील कर दिया गया था?
'आनन-फानन में हुई सीलिंग गलत थी'
बीजेपी नेता और साउथ एमसीडी में नेता सदन कमलजीत सहरावत कहती हैं कि पिछले साल मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश पर आनन-फानन में हुई सीलिंग गलत थी, लेकिन उस समय न तो निगम अधिकारियों के पास इससे संबंधित कागजात थे और ना ही आदेशों की अवहेलना करने की हिम्मत. ऐसे में जो भी मॉनिटरिंग कमेटी ने कहा वो किया गया.
सहरावत कहती हैं कि इस बार भी निगम मॉनिटरिंग कमेटी के आदेशानुसार सीलिंग के लिए तैयार था, लेकिन लैंड एंड डेवल्पमेंट ऑफिस ने स्पेशल प्रोविजन एक्ट 2006 के आधार पर इन इमारतों की सीलिंग पर रोक लगाई है. ऐसे में निगम पर कोई सवाल नहीं उठता है, क्योंकि निगम तो बस आदेशों का पालन कर रहा है.