नई दिल्ली:MCD चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद निगम में आम आदमी पार्टी की सरकार बनना तय माना जा रहा है. इस बीच सरकार बनाने के बाद आप के सामने सबसे बड़ी चुनौती एमसीडी की वित्तीय बदहाली होगी. जहां एक तरफ एमसीडी में कार्यरत कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ पिछले कुछ सालों में रिटायर कर्मचारियों को पेंशन बेनिफिट्स भी अभी तक नहीं मिले हैं. इसके अलावा सातवां वेतन आयोग अभी तक लागू नहीं हुआ है, जिसके पीछे खराब वित्तीय हालत बड़ी वजह है. एमसीडी (municipal corporation in delhi) के फंड को लेकर पिछले कई सालों से लगातार बीजेपी और आप के बीच खींचतान होती रही है, लेकिन अब जब एमसीडी में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने को है तो यह देखने वाली बात होगी कि अब एमसीडी में फंड का प्रबंधन कैसे किया जाता है.
एमसीडी में खराब आर्थिक स्तिथि की एक बड़ी वजह 100 प्रतिशत तक अलग-अलग क्षेत्रों से की जानेवाली कर वसूली का ना होना भी है. दिल्ली में करीब 40 लाख से ज्यादा घर एमसीडी के क्षेत्र में आते हैं, जिनसे प्रॉपर्टी टैक्स लिया जाना चाहिए. एमसीडी सिर्फ 12 लाख घरों से ही संपत्ति कर वसूल कर पाती है.
वहीं, दिल्ली में 1,731 अनाधिकृत कॉलोनियां ऐसी है, जहां पर संपत्ति की खरीद-फरोख्त और रजिस्ट्री नहीं होती और यहां बड़ी संख्या में लोग संपत्ति कर नहीं भरते हैं. इससे निगम को हर साल बड़े स्तर पर राजस्व का नुकसान होता है. आप को एमसीडी में सरकार बनाने के बाद इन दो विषयों पर अच्छे से काम करने की जरूरत है, जिससे एमसीडी की फंड की कमी को दूर किया जा सके.
एमसीडी द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, संपत्ति कर के क्षेत्र में फिलहाल हर साल 12 लाख संपत्तियों से करीब 2,000 करोड़ रुपये के वित्तीय राजस्व की प्राप्ति कर के माध्यम से होती है. वहीं, ट्रांसफर ड्यूटी से एमसीडी को 1,693 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति होती है. यदि संपत्ति कर के दायरे को एमसीडी बढ़ाकर 25 से 30 लाख संपत्तियों तक ले जाने में सफल हो जाती है, तो राजस्व के क्षेत्र में भी अपार वृद्धि होने की संभावना है.
एमसीडी के पूर्व पार्षद और जानकार जगदीश ममगाई ने बताया कि अनाधिकृत कॉलोनियों के क्षेत्र में मकानों की जो खरीद-फरोख्त होती है, वह संपत्ति पावर ऑफ अटॉर्नी बनाकर ट्रांसफर की जाती है. इस पर उन्हें ट्रांसफर ड्यूटी टैक्स लगता है. अगर इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर इन कॉलोनियों में रजिस्ट्री की सुविधा दें तो राजस्व में काफी सुधार हो सकता है.
उन्होंने बताया कि दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों के अंदर विशेष तौर पर बिल्डरों द्वारा बड़ी संख्या में मकान बनाकर लोगों को बेचे जा रहे हैं. इनकी ना तो रजिस्ट्री होती है और ना ही किसी प्रकार का संपत्ति कर निगम को मिलता है. अगर एमसीडी द्वारा इन सभी संपत्तियों से कर वसूल किया जाए (जिनकी संख्या लगभग 35 लाख के पास है) तो एमसीडी को हर साल अतिरिक्त 6 हजार करोड़ रुपये का राजस्व सिर्फ प्रॉपर्टी टैक्स के माध्यम से मिल सकता है.
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वहीं, प्रेस एंड इनफार्मेशन विभाग के डायरेक्टर अमित कुमार ने बताया कि एमसीडी द्वारा लगातार संपत्ति कर के क्षेत्र में अपने दायरे को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. नागरिकों को संपत्ति कर भरने के प्रति अलग-अलग माध्यमों के जरिए ना सिर्फ जागरूक किया जा रहा है, बल्कि एमनेस्टी स्कीम के माध्यम से अनधिकृत कॉलोनी में रह रहे लोगों को बड़ी छूट भी दी जा रही है. इसमें रिहायशी क्षेत्र में रह रहे लोग 1 साल का टैक्स भर कर पिछले कई सालों के टैक्स और उस पर लगे फाइन और इंटरेस्ट से बच सकते हैं. इसी तरह अनधिकृत कॉलोनियों के क्षेत्र में भी संपत्ति कर को लेकर एमनेस्टी स्कीम के माध्यम से छूट दी जा रही है.
एमसीडी लगातार संपत्ति कर के क्षेत्र में काम कर रही है ताकि राजस्व को बढ़ाकर निगम को आर्थिक बदहाली से बाहर निकालने में मदद मिल सके. अगर सब लोग ईमानदारी से अपना संपत्ति कर भरें तो इससे एमसीडी को अतिरिक्त 4 से 5 हजार करोड़ रुपये की प्राप्ति राजस्व के तौर पर होगी. इससे दिल्ली का विकास किया जा सकेगा और निगम की आर्थिक बदहाली दूर होगी.