नई दिल्लीःदो दशकों से अधिक समय से जिन सुधारों की प्रक्रिया के आधारों पर पांच जून 2020 को जिन तीन कानूनों को केंद्र सरकार लेकर आयी और 29 नवंबर 2021 को निरस्त करने के लिए संसद को विधेयक पारित करने पड़े थे, इन्ही सुधारों के अंतर्गत केंद्र द्वारा आदर्श कृषि उपज एवं पशुपालन मंडी (उन्नयन एवं सुविधा) अधिनियम, 2017 का प्रारूप तैयार किया गया. उसे केंद्र सरकार ने लागू कराने के लिए रूचि दिखाई होती तो देश के किसानो के चेहरे खिले होते. यह कहना है किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट (National President of Kisan Mahapanchayat Rampal Jat) का.
रामपाल जाट ने कहा कि राज्यों ने भी इस विषय में किसानों के साथ बेरुखी (Rampal Jat said states also showed disinterest with farmers) दिखाई है. गुजरात में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में क्रय-विक्रय नहीं करने का अनुज्ञा पत्रों में उल्लेख होते हुए भी इसकी पालना अभी तक नहीं किया गया. इसी प्रकार अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, झारखंड में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में फसल बेचने को विवश होना पड़ता है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी की वैधानिकता होते हुए भी कृषि उपजों के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्राप्ति से किसान वंचित है.
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