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Ramlila in Delhi: पुरानी दिल्ली में होती है ऐसी रामलीला, जिसमें हर सीन के बाद गिरता है पर्दा

राजधानी दिल्ली में आयोजित हर रामलीला अपने आप में कुछ खास समेटे हुए हैं. इन्हीं में से एक है पुरानी दिल्ली की वह रामलीला, जहां आज भी हर सीन के बाद पर्दा गिराया जाता है और तो और महिला पात्रों को भी पुरुष ही निभाते हैं. Bharti Adarsh ​​Ramlila Committee, Ramlila in Delhi

Bharti Adarsh ​​Ramlila Committee
Bharti Adarsh ​​Ramlila Committee

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 24, 2023, 9:53 AM IST

बिना ऑक्रेस्टा व आधुनिक संसाधन के होती है रामलीला

नई दिल्ली: राजधानी में में सैकड़ों रामलीला कमेटियां हैं, जिनमें कई बड़े जाने माने कलाकारों द्वारा मंचन किया जाता है. इन रामलीलाओं का बजट भी अच्छा खासा होता है. वहीं दिल्ली-6 में आज भी एक ऐसी रामलीला का आयोजन होता है, जिसमें हर सीन के बाद पर्दा गिरता है. इस रामलीला में आज भी सीता, मंदोदरी, कौशल्या, कैकेयी, सुमित्रा, ताड़का और सूर्पनखा जैसी महिला पात्रों का किरदार पुरुष कलाकारों द्वारा ही निभाया जाता है. खास बात यह है कि इस रामलीला को देखने के लिए काफी संख्या में लोग आते हैं.

दरअसल मोरी गेट स्थित तिकोना पार्क में आयोजित भारती आदर्श रामलीला कमेटी 50 वर्षों से भी अधिक समय से रामलीला का मंचन कर रही है. कमेट के प्रधान महाबीर प्रसाद गुप्ता और आयोजक चेतन टांक ने बताया कि इस पर्दे वाली रामलीला में किसी भी तरह का ऑर्केस्ट्रा नहीं होता है. यहां केवल ढोलक, मंजीरा और हरमोनियम की मदद से ही संगीत दिया जाता है. साथ ही बुंदेली होली में दोहे और गीत गाए जाते हैं.

कमेटी के प्रधान होने के साथ महाबीर खुद रामलीला में किरदार निभाते हैं. उन्होंने बताया कि वह बचपन से ही रामलीलाओं में अलग-अलग भूमिका निभाते आए हैं. वह प्रभु राम, लक्ष्मण जी, राजा दशरथ, रावणस बाली और ऋषि विश्वामित्र आदि किरदारों की भूमिका निभा चुके हैं. इस बार कलाकारों की टोली मध्य प्रदेश के ग्वालियर से आई है, जो सालभर नाटकों का मंचन करते हैं. ये कलाकार देशभर में जगह-जगह सात से 13 दिनों की रामलीला करते हैं.

पूरानी दिल्ली का रामलीला

टोली के सदस्य और श्रीराम का किरदार निभाने वाले अरुण कुमार द्विवेदी ने बताया कि बारिश के दिनों में काम नहीं मिलता, तो वह घर में छोटा-मोटा रोजगार करते हैं. उन्होंने बताया कि इस टोली में 25 सदस्य हैं, जो रामलीला में अलग-अलग किरदार निभाते हैं. यह पहली बार है, जब दिल्ली में इस टोली द्वारा रामलीला का मंचन किया जा रहा है. उनके अलावा मंचन में मां सीता का किरदार निभाने वाले राहुल ने बताया कि पहले उनके पिता इसी टोली में माता सीता का किरदार निभाते थे, लेकिन उनकी जगह वह इस जिम्मेदारी को निभा रहे हैं.

बता दें कि रामलीला में मंझे हुए कलाकारों के संवाद में बुंदेली बोली की झलक अलग मिठास घोल रही है. सीमित संसाधनों के बावजूद ये कलाकार भगवान राम के जीवन आदर्शों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. यहां आने वाले अधिकतर दर्शक मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले, बेलदार, राजमिस्त्री और हाथ ठेला खींचने वाले हैं. नवरात्रि में ये अपने घर नहीं जा पाते, तो यहां आकर रामलीला देखते हैं. कभी-कभी तो इतनी भीड़ हो जाती है कि लोगों को घास पर बैठना पड़ जाता है. वहीं मैदान में खाने-पीने की चीजों के साथ बच्चों के लिए झूले आदि की भी व्यवस्था होती है.

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