फर्जी वीजा बनाकर नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल और क्राइम ब्रांच की टीम ने एक जॉइंट आपरेशन चलाते हुए एक ऐसे रैकेट का पर्दाफाश किया है जो नौकरी की तालाश करने वाले लोगों को गल्फ कंट्रीज में नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जी वीजा-पासपोर्ट मुहैया कराकर उनके साथ ठगी की वारदात को अंजाम देता था. साइबर सेल और क्राइम ब्रांच की टीम में जॉइंट ऑपरेशन करते हुए इस गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिनमें चार आरोपी बिहार के रहने वाले हैं.
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यह रैकेट दुबई में वीजा और नौकरी की पेशकश कर भोले-भाले लोगों से रकम ऐंठ कर उन्हें धोखा देता था. आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ 8 लैपटॉप, 12 मोबाइल फोन, 110 पासपोर्ट और धोखाधड़ी में प्रयुक्त सामग्री बरामद की गई है. इतना ही नहीं गिरफ्तार आरोपी अब तक एक हजार से अधिक लोगों के साथ ठगी की वारदात को अंजाम दे चुके हैं.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक एक आरोपी के रिश्तेदार का कनेक्शन इंडियन मुजाहिदीन से बताया जा रहा है. इसकी भी पुलिस लगातार छानबीन कर रही है. गिरफ्तार आरोपित व्यक्तियों की पहचान इनामुल हक अंसारी निवासी दरभंगा बिहार , ताबिश निवासी दरभंगा, मोहम्मद तबरेज निवासी दरभंगा, तारीख समश निवासी जामिया नगर दिल्ली, शंकर कुमार शाह निवासी खिजराबाद दिल्ली, सोमराज उर्फ सोमनाथ कुमार निवासी जाकिर नगर दिल्ली के रूप में की गई है.
यह रैकेट naukri.com और godaddy जैसी नामी कंपनियों पर नौकरी का ऐड निकलता था और इस एड के जरिए लोगों को दुबई में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की वारदात को अंजाम देता था.
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क्राइम ब्रांच स्पेशल सीपी रविंद्र सिंह यादव ने मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी देते हुए बताया कि शिकायतकर्ता की तरफ से मामला दर्ज होने के बाद अपराधियों को पकड़ने का काम क्राइम ब्रांच और साइबर पुलिस को सौंपा गया. इसके लिए डीसीपी अंकित कुमार व क्राइम ब्रांच द्वारा एसीपी प्रभात कुमार सिंह के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया. जांच के दौरान, टीम ने सभी प्रासंगिक डेटा यानी सीडीआर, सीएएफ, आईपीडीआर, रिचार्ज इतिहास, बैंक स्टेटमेंट, आईपी लॉग, ऑनलाइन-वॉलेट, जीएसटी एकत्र किया. OSINT की मदद से मोबाइल नंबरों से जुड़े कुछ ईमेल पते की पहचान की गई, जिनका इस्तेमाल जालसाजों ने किया था. इसके बाद अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए गूगल, यूट्यूब, फेसबुक, टेलीग्राम, ऑनलाइन मनी वॉलेट और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से डेटा प्राप्त किया गया.
बड़ी मात्रा में और डेटा का विश्लेषण करने के बाद, एक कंपनी "लाइफ लॉन्ग ट्रैवल्स" की पहचान की गई. आगे के विश्लेषण के आधार पर टीम ने अंततः मुख्य साजिशकर्ता इनामुल हक अंसारी पर ध्यान केंद्रित किया और उसे दिल्ली के जाकिर नगर में पाया. इसके बाद इनामुल अंसारी को गिरफ्तार कर लिया गया और उसकी निशानदेही पर अन्य आरोपी भी पकड़े गए. बिहार के दरभंगा जिले में छापेमारी कर चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.
शुरुआती जांच में यह भी पता चला है कि ये लोग 1000 से अधिक लोगों के साथ यह ठगी की वारदात को अंजाम दे चुके हैं. पिछले चार-पांच सालों से यह रैकेट चला रहे थे. इसके अलावा आरोपी इमानुल हक के मामा के तार इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं. इसकी भी इन्वेस्टिगेशन की जा रही है.
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