नई दिल्ली: देशभर में आज 73वां स्वतंत्रता दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया. हर किसी ने अपने-अपने तरीके से आजादी का जश्न मनाया. इसी बीच राजधानी की सड़कों पर ऐसे नन्हे सिपाही भी दिखाई दिए, जो धूप में तिरंगे बेचकर शाम की रोटी का इंतजाम कर रहे थे. हाथ में तिरंगा और चेहरे पर सच्ची आजादी की चमक लिए ये बच्चे मानो लोगों को स्वाभिमानी बनने का पाठ पढ़ा रहे हों.
कुछ ऐसा रहा इन गरीब बच्चों का स्वतंत्रता दिवस राजीव चौक के इनर सर्किल में यूं तो रोजाना ही चहल पहल रहती है, लेकिन आज का नजारा कुछ अलग रहा. चारों तरफ बस तिरंगे से सजी छोटी-छोटी दुकानें दिखी. इन्हीं दुकानों पर मैले कपड़े और मासूम सा चेहरा लिए वो बच्चे नजर आए जो परिधान से बेशक गरीब लगते हों, लेकिन दिल से बहुत अमीर हैं.
ऐसे बच्चे जिन्हें शाम की रोटी का बेशक न पता हो, लेकिन देश की आजादी का अच्छे से ज्ञान है. ये बच्चे आज उन सभी लोगों के लिए उदाहरण हैं, जो तमाम कारणों का हवाला देकर अपनी जिंदगी से तंग आने की बात कह जाते हैं.
'मेहनत करके खाना अच्छा लगता है'
रॉनी (बदला हुआ नाम) कहते हैं कि वो पहाड़गंज में अपने माता-पिता के साथ रहते हैं. पिछले 3 दिन से वो तिरंगे, लॉकेट, बैंड आदि चीज़ें बेच रहे हैं. रॉनी पढ़ाई नहीं करते हैं, लेकिन अपने नाम को अंग्रेजी में कैसे बताना है और किसी को धन्यवाद कैसे कहना है ये उन्होंने घर के पास रहने वाली एक अध्यापिका से सीखा है. रॉनी इतने समझदार हैं कि वो जानते हैं उनके घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं है. शायद यही कारण है कि वो कहते हैं कि उन्हें भीख मांगने से बेहतर मेहनत कर खाना अच्छा लगता है.
राखी, स्वतंत्रता दिवस और ढेर सारी आशाएं!
उधर 4 साल की प्रियांशी (बदला हुआ नाम) राखी की दुकान लागकर बैठी हैं. उन्हें पैसे गिनना बेशक नहीं आता, लेकिन अपने हाथ में लिए 10-10 के नोटों को वो बार बार गिन रही हैं. ये पूछने पर कि कितने पैसे इकट्ठा हो गए, वो जवाब नहीं दे पाती हैं.
ऐसे ही चमन, राज और इमरान (बदला हुआ नाम) भी दुकानें लगाकर बैठे और लोगों का इंतजार करते रहे ताकि शाम की रोटी का जुगाड़ हो सके. इन सभी बच्चों के चेहरे पर शिकन तक नहीं थी, थी तो बस सच्ची आजादी की मुस्कुराहट.