नई दिल्ली:केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 12वीं के रिजल्ट तैयार करने के लिए मूल्यांकन नीति जारी कर दी है. वहीं इसके बाद अब विश्वविद्यालयों में दाखिले का रास्ता साफ होते हुए नजर आ रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय में दबी जुबान कुछ शिक्षक प्रवेश परीक्षा आधारित दाखिले की नीति को अपनाने की मांग कर रहे हैं तो कुछ इसका विरोध कर रहे हैं. वहीं इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने डीयू एग्जीक्यूटिव काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रोफेसर राजेश झा से बात की. उन्होंने कहा कि प्रवेश परीक्षा आधारित दाखिला (DU Admission) सभी छात्रों के हित में नहीं है.
प्रवेश परीक्षा आधारित दाखिला सभी के हित में नहीं
वहीं डीयू पूर्व एक्सक्यूटिव काउंसिल सदस्य प्रोफेसर राजेश झा ने कहा कि सीबीएसई मूल्यांकन नीति के पश्चात अब प्रवेश परीक्षा आधारित एडमिशन (DU Admission) की आयोजित करने की मांग उठ रही हैं. उन्होंने कहा कि प्रवेश परीक्षा आधारित दाखिला सभी छात्रों के हित में नहीं होगी. इस तरह से कोई फैसला लेने से पहले सभी हितधारकों से बात करने की जरूरत है. साथ ही कहा कि अकादमिक काउंसिल और एग्जीक्यूटिव काउंसिल मीटिंग होनी चाहिए ना कि कोई फैसला छात्रों पर थोपा जाना चाहिए.
DU Admission: प्रवेश परीक्षा आधारित एडमिशन सभी छात्रों के हित में नहीं -प्रोफेसर राजेश झा - DU एडमिशन
CBSE के 12वीं के रिजल्ट तैयार करने के लिए मूल्यांकन नीति जारी करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में दबी जुबान कुछ शिक्षक प्रवेश परीक्षा आधारित दाखिले (DU Admission) की नीति को अपनाने की मांग कर रहे हैं तो कुछ इसका विरोध कर रहे हैं. वहीं डीयू एग्जीक्यूटिव काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रोफेसर राजेश झा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा प्रवेश परीक्षा आधारित दाखिला सभी छात्रों के हित में नहीं है.
दिल्ली विश्वविद्यालय
प्रोफेसर राजेश झा ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के 1922 एक्ट के मुताबिक अकादमिक काउंसिल और कॉलेजों में स्टाफ काउंसिल को एडमिशन की जिम्मेदारी दी गई है. जिसकी वजह से एडमिशन में किसी भी प्रकार का भेदभाव मुमकिन नहीं है. लेकिन अगर प्रवेश परीक्षा आधारित दाखिला होता है तो यह सभी छात्रों के हित में नहीं होगा.