नई दिल्ली :जंतर-मंतर पर किसान संसद के चौथे दिन की कार्यवाही जारी है. सुबह से ही रुक रुक कर लगातार बारिश हो रही है, लेकिन बारिश के बीच किसान लगातार संसद का संचालन कर रहे हैं और आपस में चर्चा कर रहे हैं. KISAN SANSAD के स्पेशल ऑब्जर्वर Yudhveer Singh ने बताया कि किसान ऐसी कई बारिश देख चुका है. अगर किसान बारिश से डर जाए तो फिर खेती कैसे करेगा.
स्पेशल आब्जर्वर और भारतीय किसान यूनियन (BKU) के महासचिव युद्धवीर सिंह ने बताया कि हम 1 डिग्री तापमान में भी खेतों में पानी लगाते हैं. ठंड के मौसम में नहर का पानी बर्फ जैसा ठंडा होता है, लेकिन हम अपने खेतों को नहीं छोड़ते हैं. ठीक इसी प्रकार तेज गर्मी में भी किसान अपने खेतों को नहीं छोड़ता है क्योंकि पानी किसानों के लिए महत्वपूर्ण होता है. हम 40 डिग्री तापमान में भी अपने खेतों में काम करते हैं. यहां तो फिर भी दिल्ली की अच्छी सड़कें हैं और किसान संगठन द्वारा यहां अच्छी व्यवस्था की गई है.
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युद्धवीर सिंह ने बताया कि सिंघु बॉर्डर पर कुछ महीनों पहले लगातार पांच दिन बारिश हुई थी. सब किसान जमीन पर मैट बिछा कर सोते थे. लगातार बारिश से किसानों के मैट्स गीले हो गए थे. ऐसे में हमने अपने मैट्स को सिर पर रख कर 5 रातें गुजारी हैं क्योंकि किसानों को यह डर था कि अगर मैट्स गीले हो गए तो फिर वह सोएंगे कहां किसान किसी मौसम से नहीं डरता है. किसान संसद अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चलेगी. मौसम से कोई किसान नहीं डरता.
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उधर, जंतर मंतर पर किसान संसद के चौथे दिन सिंघु बॉर्डर से आए करीब 200 किसान सांसदों ने एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट पर विस्तार से चर्चा की. इस दौरान किसान सांसदों ने एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट से होने वाले नुकसान गिनाए.
किसान संसद के चौथे दिन किसान सांसदों ने एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट पर चर्चा की भाकियू के महासचिव और किसान संसद के स्पेशल ऑब्जर्वर युद्धविर सिंह ने बताया कि कई दशक पहले देश में अकाल पड़ा था. तब कुछ व्यापारियों ने उसका बहुत फायदा उठाया था.जिसके बाद लोगों ने आंदोलन किया और फिर कालाबाजारी को रोकने के लिए एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट को लाया गया था. इस एक्ट में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं थी लेकिन सरकार ने एग्री बिजनेस से जुड़े अपने बड़े व्यापारी साथियों को फायदा पहुंचाने के लिए इसमें बदलाव किया है.
युद्धवीर सिंह ने बताया कि अभी के समय बड़े उद्योगपति अडानी के पास साढ़े 8 लाख मीट्रिक टन अनाज के भंडारण की क्षमता है. अभी के समय अनाज के भंडारण की लिमिट खत्म हो गई है. अब कोई भी व्यापारी बाहर से असीमित मात्रा में अनाज मंगा सकता है. इस एक्ट के आने के बाद स्टोरिंग कैपेसिटी अनलिमिटेड हो गई है.
उदाहरण देते हुए उन्होंने समझाया कि मान लीजिए एक बड़े व्यापारी के पास 5 लाख टन गेहूं है. मैं एक सामान्य किसान हूं और मेरे पास 10 हजार टन गेहूं है. ऐसे में व्यापारी बाजार में 1 लाख टन गेहूं उतार देगा, जिससे बाजार में गेहूं की कीमत कम हो जाएगी. इसके बाद वह किसानों से कम कीमत में गेहूं की खरीद करेगा. किसान डेढ़ से 2 महीने ही बाजार में रहता है. जैसे ही किसान से गेहूं खरीद होगी उसके बाद व्यापारी बाजार में गेहूं की कमी को दिखाएगा और फिर मनमानी कीमत पर गेहूं को बाजार में बेचा जाएगा. इसमें किसानों के साथ-साथ आम लोगों का भी नुकसान है.
युद्धवीर सिंह ने बताया कि अभी कुछ दिन पहले हम सब ने देखा कि सरकार ने दलहन के स्टॉक पर लिमिट लगाई थी. यानी एक व्यापारी निर्धारित मात्रा में ही दलहन फसल का स्टॉक कर सकता है. जिससे यह बात साबित हो जाती है कि किसान सही है और सरकार गलत. मंडी एक्ट सिर्फ किसानों को प्रभावित करेगा लेकिन एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट किसानों के साथ-साथ आम लोगों को भी प्रभावित करेगा.इसलिए किसान इस एक्ट का विरोध कर रहे हैं.
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