Delhi NCR Pollution: बेहद खराब हुई दिल्ली एनसीआर की हवा, गंभीर श्रेणी में पहुंचा AQI - एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स
दिल्ली और एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स में गिरावट होने के बाद एक बार फिर सोमवार को बढ़ोतरी हो गई है. वहीं, दिल्ली का सबसे प्रदूषित इलाका नेहरू नगर में दर्ज किया गया, जहां का एक्यूआई 403 के स्तर पर पहुंच गया, जो एक्यूआई खराब कैटेगरी में ही बरकरार है.
दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण स्तर
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Published : Jan 23, 2023, 12:11 PM IST
नई दिल्ली/गाजियाबाद : सोमवार को दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन में बना हुआ है. जबकि कई इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार दर्ज किया गया है. वहीं, नोएडा और गाजियाबाद की बात करें तो दोनों इलाकों की हवा की सेहत काफी खराब बताई जा रही है. गाजियाबाद और नोएडा का प्रदूषण स्तर रेड जोन में बना हुआ है.
दिल्ली के इलाके
वायु प्रदूषण स्तर
अलीपुर
354
शादीपुर
369
डीटीयू दिल्ली
348
आईटीओ दिल्ली
384
सिरी फोर्ट
355
मंदिर मार्ग
342
आरके पुरम
393
पंजाबी बाग
298
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम
NA
नेहरू नगर
403
द्वारका सेक्टर 8
390
पटपड़गंज
383
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज
355
अशोक विहार
349
सोनिया विहार
354
जहांगीरपुरी
363
रोहिणी
365
विवेक विहार
376
नजफगढ़
381
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम
361
नरेला
374
ओखला फेस टू
362
बवाना
360
श्री औरबिंदो मार्ग
340
आनंद विहार
385
IHBAS दिलशाद गार्डन
269
गाजियाबाद के इलाकों में प्रदूषण का स्तर
गाजियाबाद के इलाके
वायु प्रदूषण स्तर
वसुंधरा
234
इंदिरापुरम
224
संजय नगर
292
लोनी
385
नोएडा के इलाकों में प्रदूषण का स्तर-
नोएडा के इलाके
वायु प्रदूषण स्तर
सेक्टर 62
337
सेक्टर 125
295
सेक्टर 1
306
सेक्टर 116
301
Air quality Index की श्रेणी: एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुँच जाते हैं.
Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में खट्टा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.