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Delhi NCR Pollution: प्रदूषण से दिल्ली परेशान, Red Zone में AQI बरकरार

दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. मंगलावर को भी अधिकतर इलाकों में प्रदूषण का स्तर रेड जोन में दर्ज किया गया है. दिल्ली का सबसे प्रदूषित इलाका मुंडका दिल्ली में दर्ज किया गया है. यहां का एक्यूआई 358 दर्ज किया गया है जो कि अत्यंत गंभीर श्रेणी में है.

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दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण स्तर

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Published : Jan 17, 2023, 12:29 PM IST

नई दिल्ली : मंगलवार को दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण स्तर में रेड जोन में दर्ज किया गया है. जबकि सोमवार के मुकाबले मंगलवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स में बढ़ोतरी हुई है. दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 दर्ज किया गया है. वही, गाजियाबाद और नोएडा का प्रदूषण स्तर भी खराब कैटेगरी में दर्ज किया गया है.

दिल्ली के इलाकों का प्रदूषण स्तर-

दिल्ली के इलाके वायु प्रदूषण स्तर
अलीपुर 276
शादीपुर 319
डीटीयू दिल्ली 298
आईटीओ दिल्ली 358
सिरिफ्फोर्ट 289
मंदिर मार्ग 292
आरके पुरम 298
पंजाबी बाग 308
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम 305
नेहरू नगर 343
द्वारका सेक्टर 8 312
पटपड़गंज 304
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज 287
अशोक विहार 288
सोनिया विहार 320
जहांगीरपुरी 336
रोहिणी 306
विवेक विहार 301
नजफगढ़ 247
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 306
नरेला 299
ओखला फेस टू 306
बवाना 316
श्री औरबिंदो मार्ग 271
मुंडका 398
आनंद विहार 361
IHBAS दिलशाद गार्डन 231

गाजियाबाद के इलाकों का प्रदूषण स्तर-

गाजियाबाद के इलाके वायु प्रदूषण स्तर
वसुंधरा 253
इंदिरापुरम 177
संजय नगर 219
लोनी 251

नोएडा के इलाकों का प्रदूषण स्तर-

नोएडा के इलाके वायु प्रदूषण स्तर
सेक्टर 62 289
सेक्टर 125 234
सेक्टर 1 233
सेक्टर 116 245


Air quality Index की श्रेणी: एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुँच जाते हैं.

Sinusitis और Bronchitis का खतरा:डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में खट्टा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.

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