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Delhi NCR की हवा अब भी खराब, Red Zone में कई इलाकों का AQI

देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण (pollution in Delhi NCR) से स्थिति फिर खराब होती जा रही है. कई इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक रेड जोन में पहुंच गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, आज यानि 8 दिसंबर को सुबह 7 बजे के करीब दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 297 दर्ज किया गया है.

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दिल्ली प्रदूषण खबर

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Published : Dec 8, 2022, 11:52 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली- एनसीआर (Delhi pollution level rises) के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर अत्यंत खराब और गंभीर श्रेणी (300-400 AQI) में दर्ज किया गया है. आने वाले दिनों में अगर प्रदूषण में और बढ़ोतरी होती है तो लोगों को स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी और अत्यंत खराब श्रेणी में बरकरार है.

दिल्ली के इलाकों में प्रदूषण का स्तर:-

अलीपुर 300
शादीपुर 344
द्वारका 369
डीटीयू दिल्ली 210
आईटीओ दिल्ली 254
सिरिफ्फोर्ट 274
मंदिर मार्ग 276
आरके पुरम 292
पंजाबी बाघ 314
लोधी रोड 305
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल 3 233
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम 288
नेहरू नगर 315
द्वारका सेक्टर 8 299
पटपड़गंज 281
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज 289
अशोक विहार 286
सोनिया विहार 292
रोहिणी 359
विवेक विहार 304
नजफगढ़ 262
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 293
नरेला 299
ओखला फेस टू 276
वजीरपुर 330
बवाना 330
श्री औरबिंदो मार्ग 284
मुंडका 308
आनंद विहार 300
IHBAS दिलशाद गार्डन 278

वहीं गाजियाबाद के इलाके में प्रदूषण का स्तर इस प्रकार है-

वसुंधरा 263
इंदिरापुरम 166
संजय नगर 242
लोनी 234

उधर नोएडा के इलाकों में प्रदूषण का स्तर इस प्रकार है:-

सेक्टर 62 289
सेक्टर 125 213
सेक्टर 1 203
सेक्टर 116 223


Air quality Index की श्रेणी:

एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी

वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुँच जाते हैं.

Sinusitis और Bronchitis का खतरा

डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में खट्टा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.

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