Delhi-NCR में सांसों पर आफत: फिर ज़हरीली हुई हवा, Red Zone में AQI - delhi ncr news
देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण (pollution in Delhi NCR) से स्थिति फिर खराब होती जा रही है. कई इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक रेड जोन में पहुंच गया है. बुधवार सुबह एनसीआर के कई इलाकों में हल्की धुंध की चादर भी देखी गई.
Delhi NCR
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Published : Dec 7, 2022, 8:14 AM IST
नई दिल्ली:एनसीआर (Delhi pollution level rises) के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर अत्यंत खराब और गंभीर श्रेणी (300-400 AQI) में दर्ज किया गया है. आने वाले दिनों में अगर प्रदूषण में और बढ़ोतरी होती है तो लोगों को स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी और अत्यंत खराब श्रेणी में बरकरार है.
दिल्ली के इलाकों में प्रदूषण का स्तर:-
अलीपुर
314
शादीपुर
365
द्वारका
369
डीटीयू दिल्ली
254
आईटीओ दिल्ली
362
सिरिफ्फोर्ट
333
मंदिर मार्ग
333
आरके पुरम
350
पंजाबी बाघ
353
लोधी रोड
275
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल 3
299
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम
349
नेहरू नगर
367
द्वारका सेक्टर 8
351
पटपड़गंज
347
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज
342
अशोक विहार
330
सोनिया विहार
322
रोहिणी
359
विवेक विहार
335
नजफगढ़
319
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम
350
नरेला
314
ओखला फेस टू
331
वजीरपुर
330
बवाना
330
श्री औरबिंदो मार्ग
337
मुंडका
360
आनंद विहार
336
IHBAS दिलशाद गार्डन
286
वहीं गाजियाबाद के इलाके में प्रदूषण का स्तर इस प्रकार है-
वसुंधरा
306
इंदिरापुरम
178
संजय नगर
235
लोनी
246
उधर नोएडा के इलाकों में प्रदूषण का स्तर इस प्रकार है:-
सेक्टर 62
336
सेक्टर 125
182
सेक्टर 1
276
सेक्टर 116
288
Air quality Index की श्रेणी
एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी
वरिष्ठ सर्जन डॉ. बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.
Sinusitis और Bronchitis का खतरा
डॉ. त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में खट्टा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.