दिल्ली NCR में जहरीली हुई हवा, Red Zone में कई इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक - NCR में जहरीली हुई हवा
देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण (pollution in Delhi NCR) से स्थिति फिर खराब होती जा रही है. कई इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक रेड जोन में पहुंच गया है. मंगलवार सुबह एनसीआर के कई इलाकों में हल्की धुंध की चादर भी देखी गई.
दिल्ली में वायु गुणवत्ता
By
Published : Dec 6, 2022, 12:14 PM IST
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर (Delhi pollution level rises) के कई इलाकों में मंगलवार को प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया है. आने वाले दिनों में अगर प्रदूषण में और बढ़ोतरी होती है तो लोगों को स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी और अत्यंत खराब श्रेणी में बरकरार है. वहीं दिल्ली के अलग-अलग इलाकों का प्रदूषण स्तर इस प्रकार है.
अलीपुर
339
शादीपुर
369
द्वारका
408
डीटीयू दिल्ली
316
आईटीओ दिल्ली
372
सिरिफ्फोर्ट
340
मंदिर मार्ग
337
आरके पुरम
359
पंजाबी बाग
361
आया नगर
313
लोधी रोड
372
नॉर्थ केंपस डीयू
311
सीआरआरआई मथुरा रोड
340
पूसा
311
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल 3
326
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम
354
नेहरू नगर
379
द्वारका सेक्टर 8
370
पटपड़गंज
357
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज
372
अशोक विहार
367
सोनिया विहार
339
जहांगीरपुरी
338
रोहिणी
359
विवेक विहार
351
नजफगढ़
333
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम
354
ओखला फेज टू
337
वजीरपुर
340
बवाना
344
श्री औरबिंदो मार्ग
317
मुंडका
375
आनंद विहार
357
IHBAS दिलशाद गार्डन
257
वहीं, गाजियाबाद के इलाकों में प्रदूषण का स्तर इस प्रकार है-
वसुंधरा
311
इंदिरापुरम
234
संजय नगर
253
लोनी
289
उधर नोएडा के इलाकों में प्रदूषण का स्तर इस प्रकार है
सेक्टर 62
345
सेक्टर 125
228
सेक्टर 1
295
सेक्टर 116
302
Air quality Index की श्रेणी:- एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी:- वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुँच जाते हैं.Sinusitis और Bronchitis का खतरा:- डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में खट्टा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.