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आनन-फानन में ठीक कर चालू किया गया पॉल्यूशन कंट्रोल टावर, तकनीकी खराबी के चलते पड़ा था बंद

नोएडा में स्थित उत्तर प्रदेश का पहला पॉल्यूशन कंट्रोल टावर तकनीकी कारणों से बंद पड़ी थी जिसे आनन-फानन में ठीक कर फिर से चालू कर दिया गया है.

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चालू किया गया पॉल्यूशन कंट्रोल टावर

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Published : Nov 5, 2022, 12:57 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा:एनसीआर में तेजी से प्रदूषण बढ़ रहा है. लोग दमघोंटू हवा में सांस लेने को मजबूर हैं. यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) 'अत्यंत खराब' श्रेणी में है. ऐसे में लोगों को आशा थी कि उत्तर प्रदेश का पहला पॉल्यूशन कंट्रोल टावर जो डीएनडी पर स्थापित किया गया था. वह प्रदूषण से राहत देगा, लेकिन इस प्रदूषण में टावर का भी दम घुटता नजर आया. बताया गया कि तकनीकी कारणों से टावर काम नहीं कर रहा है. जब टावर के बंद होने की बात फैली तो आनन-फानन में ही पॉल्यूशन कंट्रोल टावर अब काम कर रहा है.

रख रखाव के अभाव ठप पड़ा था पॉल्यूशन कंट्रोल टावर:पिछले साल टावर का उद्घाटन भव्य कार्यक्रम का आयोजन कर किया गया था. उद्योग मंत्री और राज्यमंत्री विद्युत और भारी उद्योग मंत्री ने फीता काटकर इसका लोकार्पण किया था. उन्होंने कहा था कि इस तरह के और टावर शहर में जगह-जगह लगाए जाएंगे, लेकिन शहर में और पॉल्यूशन कंट्रोल टावर नहीं लगे, बल्कि इसे भी भुला दिया गया. रख रखाव के अभाव और तकनीकी खराबी के कारण टावर ठप पड़ गया. इस साल एक बार फिर प्रदूषण बढ़ा तो टावर की याद आई, तब पता लगा कि टावर तो काम ही नहीं कर रहा है.

चालू किया गया पॉल्यूशन कंट्रोल टावर

टावर बंद होने की बात सोशल मीडिया पर फैली तो प्राधिकरण के अधिकारी दावा करने लगे कि टावर में कुछ तकनीकी समस्याएं उत्पन्न होने के कारण इसे दुरुस्त किया जा रहा है. जल्द ही यह काम करने लगेगा. शुक्रवार देर रात तक खबर आई कि पॉल्यूशन कंट्रोल टावर ठीक हो गया है और काम कर रहा है. अधिकारियों ने इसका वीडियो भी मीडिया के लिए शेयर किया. हालांकि ये किसी भी अधिकारी ने नहीं बताया कि ये टावर कब से खराब था और साल भर में कितना शुद्ध वायु का उत्सर्जन कर चुका है.

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4 करोड़ की लागत से CSR प्रोजेक्ट के तहत स्थापित किया गया था:पिछले वर्ष प्रदूषण को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश का पहला एयर पॉल्यूशन कंट्रोल टावर एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सेक्टर-16 फिल्म सिटी और डीएनडी के बीच हरित क्षेत्र में स्थापित किया गया था. इसको नोएडा प्राधिकरण ने भेल के साथ मिलकर 4 करोड़ की लागत से सीएसआर प्रोजेक्ट के तहत स्थापित किया था. दावा किया गया था कि इस टावर के आसपास एक किलो वर्ग मीटर तक की हवा को शुद्ध करेगा. पर यह एक सफेद हाथी साबित हो रहा है.

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