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छठ घाट पर राजनीति हावी, दिल्ली की दूषित हवा और पानी में श्रद्धालु करेंगे पूजा - Aam Aadmi Party

आस्था के महापर्व छठ (Chhath Puja 2022) की नहाए खाए के साथ शुरुआत हो चुकी है. लेकिन इसके ठीक दो दिन पहले से यमुना में दूषित पानी को लेकर दिल्ली सरकार और विपक्षी पार्टी बीजेपी के नेता आमने-सामने (Politics dominates Chhath Ghat) हैं. दिल्ली की राजनीति गरमा गई है. सभी प्रमुख दलों के नेताओं की नजर छठ घाटों पर है. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्षी आए दिन छठ घाटों का दौरा कर रहे हैं. सत्ता पक्ष इन घाटों को बेहतर बनाने को लेकर काम करने का दावा कर रहा है तो वहीं विपक्ष इस मामले पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं.

Politics dominates Chhath Ghat
छठ घाट पर राजनीति हावी

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Published : Oct 28, 2022, 9:45 AM IST

नई दिल्ली: आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2022) इस बार भी देश की राजधानी दिल्ली में दूषित हवा और नदी के पानी में श्रद्धालुओं को मनाना होगा. पूर्वांचल का लोकप्रिय यह पर्व अब दिल्ली में लाखों की तादात में श्रद्धालु मनाते हैं. पर्व मनाने की दिन और तारीख पहले से तय होती है, लेकिन ठीक समय पर यमुना जैसी पवित्र नदी जिसमें पूजा करने की तैयारी जब श्रद्धालु सोच रहे होते हैं, तब सरकार में बैठे सत्ता पक्ष के नेता हों या विपक्ष के नेता वे एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर पल्ला झाड़ने की ही कोशिश करते हैं.

आज (शुक्रवार) नहाए खाए से इस महापर्व की शुरुआत हुई, तो इससे ठीक दो दिन पहले से यमुना में दूषित पानी होने को लेकर एक बार फिर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की सरकार और विपक्ष में बैठी बीजेपी (Bharatiya Janata Party) के नेता आमने-सामने (Politics dominates Chhath Ghat) आ गए हैं. सरकारें चाहतीं तो श्रद्धालुओं के लिए यमुना के पानी को कुछ दिनों के लिए ही सही निर्मल जरूर किया जा सकता था. इस दिशा में पहल करने में अब जो देरी हुई है उसका खामियाजा पहले की तरह ही श्रद्धालुओं को ही भुगतना पड़ेगा.

ओखला सीवेज परीक्षण प्रयोगशाला

पिछले कुछ दिनों से यमुना की झाग वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिसमें 30 और 31 अक्टूबर को लाखों लोग छठ पूजा करेंगे. पिछले सालों में भी झाग के बीच छठ व्रतियों की तस्वीरों ने दिल्ली की खूब किरकिरी कराई थी. दीपावली के बाद से ही दिल्ली में वायु की गुणवत्ता बेहद खराब है. सभी ईलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) 300 के पार ही दर्ज हो रहा है, जो 'अत्यंत खराब' श्रेणी माना जाता है. अब छठ पूजा मनाने वालों के सामने यमुना का दूषित पानी किसी चुनौती से कम नहीं है.

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गुरुवार को दिल्ली की खराब आबोहवा के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) ने दिल्ली के मुहाने पर बने लैंडफिल साइट को जिम्मेदार बताया. वे पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर में लैंडफिल साइट का दौरा करने पहुंचे और वहां जमा कूड़े के ढेर से जिस तरह आबोहवा खराब हो रही है उसके लिए उन्होंने भाजपा शासित नगर निगम पर ठीकरा फोड़ा.

उधर, कुछ किलोमीटर दूर बीजेपी (Bharatiya Janata Party) के सांसद प्रवेश वर्मा (MP Parvesh Verma) और मनोज तिवारी (MP Manoj Tiwari) यमुना में बह रहे झाग को लेकर केजरीवाल सरकार पर जमकर ठीकरा फोड़ा. उन्होंने कहा कि बीते 8 सालों में यमुना को सिर्फ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) सरकार ने बयान देकर ही साफ करने की कोशिश की है. वाकई यमुना की सफाई के लिए हुए कुछ करते तो आज यह हालत नहीं होती.

छठ घाट पर राजनीति हावी

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दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता (Delhi BJP President Adesh Gupta) और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी (Leader of Opposition Ramveer Singh Bidhuri) आईटीओ स्थित यमुना घाट पर जायजा लेने पहुंचे. वहां की दुर्दशा देख उन्होंने जमकर केजरीवाल सरकार को कोसा. आदेश गुप्ता ने कहा कि हर साल की तरह एक बार फिर यमुना की सफाई को लेकर केजरीवाल अपनी पुरानी स्क्रिप्ट रटना शुरू कर चुके हैं. जबकि आठ साल पहले से केजरीवाल कहते आ रहे हैं कि मां यमुना में प्रदूषण की समस्या को खत्म कर सबके साथ डुबकी लगाएंगे. लेकिन इन आठ सालों में केजरीवाल खुद दिल्ली के विकास के लिए एक बड़ी समस्या बन चुके हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने 2 हजार 419 करोड़ रुपये एसटीपी प्लांट लगाने के लिए केजरीवाल को दिए, लेकिन आज उन एसटीपी प्लांट का क्या हुआ, जिसकी चर्चाएं केजरीवाल दूसरे राज्यों में करते हैं. लेकिन केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की माता-बहनों को अपने कार्यकाल में जहरीले पानी के अंदर डुबकी लगाने को मजबूर किया है. उन्होंने कहा कि यमुना का 80 फीसदी प्रदूषण होने का कारण दिल्ली है लेकिन दिल्ली में एक ऐसी सरकार बैठी है जो यमुना सफाई की जगह सिर्फ राजनीति करने का काम कर रही है.

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वहीं भाजपा नेताओं के आरोपों के जवाब में दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj, Vice Chairman, Delhi Jal Board) का कहना है कि दिल्ली जल बोर्ड ने छठ पूजा के लिए एक महीने पहले यमुना नदी में झाग और समग्र प्रदूषण को कम करने की तैयारी शुरू कर दी थी, ताकि भक्तों को सूर्य-देवता की पूजा करने में किसी भी प्रकार की कठिनाइयों का सामना न करना पड़े. बाद में, केंद्र सरकार के तहत स्वच्छ गंगा के लिए गठित राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) ने भी यमुना में झाग को रोकने के लिए इसी तरह के कदमों की सिफारिश की. यह कहना बेहद ही हास्यास्पद और गलत है कि यमुना में झाग को दबाने के लिए 'जहरीले रसायन' का इस्तेमाल किया जाता है. रसायन का मतलब जहर नहीं है. यहां तक ​​कि पानी को साफ करने के लिए इस्तेमाल होने वाली क्लोरीन और फिटकरी भी एक प्रकार का केमिकल ही है.

सौरभ भारद्वार ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड अपनी ओखला सीवेज परीक्षण प्रयोगशाला के माध्यम से ओखला बैराज के डाउनस्ट्रीम मापदंडों की नियमित रूप से निगरानी कर रहा है, जो आईएसओ और एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला है. उन्होंने यह भी बताया कि लैब में किए गए ताजा परीक्षणों की रिपोर्ट से पता चलता है कि छिड़काव के बाद यमुना के पानी की गुणवत्ता के मानकों में सुधार हुआ है. रिपोर्टों से पता चलता है कि घुलित ऑक्सीजन (डीओ) का स्तर 4.42 मिलीग्राम/लीटर तक पहुंच गया है जो प्रमाणित करता है कि यह रसायन जहरीला नहीं है, बल्कि इस रसायन के छिड़काव के बाद यमुना के पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है.

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गौरतलब है कि कि दिल्ली में पूर्वांचल की एक बड़ी आबादी रहती है. हजारों लोग छठ से पहले घर चले जाते हैं तो लाखों लोग दिल्ली में ही लोक आस्था के इस महापर्व को मनाते हैं. यही वजह है कि छठ पूजा को लेकर दिल्ली में राजनीति भी होती आई है. इस बार फिर दिल्ली सरकार और एलजी ऑफिस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने उन सभी घाटों पर पूजा की अनुमति दी है, जिन्हें स्वीकृति मिली है. उन्होंने मुख्यमंत्री को निर्देश दिए हैं कि इन घाटों की सफाई और श्रद्धालुओं के लिए पानी की व्यवस्था की जाए. छठ पूजा के लिए यमुना में कुल 1100 स्वीकृत घाट हैं. उपराज्यपाल ने राजस्व और पर्यावरण विभाग को निर्देश दिए हैं कि यमुना में प्रदूषण को लेकर एनजीटी के आदेशों का सख्ती से पालन किया जाए. उन्होंने स्पष्ट किया कि छठ पूजा केवल स्वीकृत घाटों पर ही होगी.

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