नई दिल्ली: 24 जून की शाम दिल्ली में कोरोना संक्रमण के 3788 नए मामले सामने आए और इसके साथ ही संक्रमितों की कुल संख्या 70 हजार को पार करती हुई 70,390 पर पहुंच गई. इस नए आंकड़े के साथ ही देश की राजधानी ने कोरोना संक्रमण के मामले में मुम्बई को पीछे छोड़ दिया. इससे ठीक दो दिन पहले ही दिल्ली संक्रमितों के आंकड़े के मामले में तमिलनाडु से आगे निकल चुकी है.
कोरोना को लेकर आपस में उलझी सरकारें
दूसरे स्थान पर पहुंची दिल्ली
वर्तमान समय में दिल्ली कोरोना के मामले में देश की मेट्रो सिटीज में सबसे आगे है. वहीं राज्यों की बात करें तो अभी दिल्ली का स्थान दूसरा है. महाराष्ट्र पहले स्थान पर है. गौर करने वाली बात यह भी है कि सिर्फ संक्रमितों की संख्या के मामले में ही नहीं, बल्कि कोरोना के कारण हो रही मौत के आंकड़ों में भी दिल्ली दूसरे स्थान पर है, मौत के मामले में दिल्ली सिर्फ महाराष्ट्र से ही पीछे है.
14 दिन में डबल हो रहे मामले
दिल्ली में अभी 14 दिन का डबलिंग रेट है. हालांकि 14 दिन में सिर्फ संक्रमितों की संख्या ही डबल नहीं हुई, बल्कि मौत के आंकड़े भी बीते 14 दिनों में दोगुने हो चुके हैं. 12 जून की दिल्ली में कुल संक्रमितों की संख्या 34,687 थी. वहीं तब तक 1085 लोगों की मौत हो चुकी थी. आज 14 दिन बाद यह आंकड़ा क्रमशः 70,390 और 2,365 है. लगातार हो रही मौत ने दिल्ली के मृत्यु दर को देश के दर से आगे कर दिया है.
दिल्ली में मृत्यु दर 3.36 फीसदी
देश भर में कोरोना के कारण हो रही मौत का दर 3.15 फीसदी है लेकिन दिल्ली इससे थोड़ी आगे है. दिल्ली में मृत्यु दर 3.36 फीसदी है. हालांकि रिकवरी रेट के मामले में दिल्ली का स्थान देश से थोड़े अच्छे हालात में है. कोरोना से ठीक होने वालों का दर दिल्ली में 58.86 फीसदी है, जबकि देश में यह 57.36 फीसदी है. हालांकि हकीकत यह भी है कि देश के किसी भी राज्य में प्रतिदिन उतने मामले नहीं आ रहे, जितने दिल्ली में आ रहे हैं.
केंद्र-राज्य के बीच रार
दिल्ली में इन दिनों हर दिन करीब 4 हजार केस आ रहे हैं, लेकिन कुछ मीटिंग्स के दौर और कुछ नए नियमों व रणनीतियों की घोषणा के बाद राज्य व केंद्र की सरकारें आपस में उलझी हुईं हैं. केंद्र-राज्य के बीच रार का नया मुद्दा है, केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली के लिए बनाया गया होम आइसोलेशन का नया नियम, जिसमें अब मरीज के लिए पहले कोविड केयर सेंटर जाना अनिर्वाय कर दिया गया है. इस नियम की तुलना मुख्यमंत्री केजरीवाल मरीजों को जबरदस्ती हिरासत में भेजने से भी कर चुके हैं. देखने वाली बात होगी कि कब तक सियासी रार छोड़कर केंद्र व राज्य सरकार कोरोना पर काबू पाने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे.