नई दिल्लीःराष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बंदरों से बचाने की गुहार दिल्ली हाईकोर्ट की चौखट तक पहुंच गई है. एक वकील ने जनहित याचिका दायर कर कोर्ट से इस पर ठोस निर्णय लेने की मांग किया है. याचिका में कहा गया है कि बंदरों के काटने के मामले में बढ़ोतरी हुई है. याचिका में पूछा गया है कि केंद्र सरकार ने जनवरी 2019 में दिल्ली सरकार को बंदरों की नसबंदी के लिए जो धन स्वीकृत किए थे, उसका उपयोग किस तरह किया गया?
याचिका में दिल्ली सरकार और एनडीएमसी को एक समिति गठित करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई है, जिसमें वरिष्ठ नौकरशाहों और वन्यजीव विशेषज्ञों के अलावा कानून विशेषज्ञों को भी शामिल करने की बात कही गई है. इसमें वैसे विशेषज्ञों को शामिल करने की मांग की गई है, जिन्होंने पशु अधिकारों के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है, ताकि निर्देशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जा सके. इसमें कहा गया है कि पहले भी राष्ट्रीय राजधानी और विशेष रूप से नई दिल्ली क्षेत्र में बंदरों के खतरे को रोकने के लिए उच्च न्यायालय ने भी कुछ नियम पारित किए थे.
अधिकारियों ने नहीं किया उचित प्रबंधः अधिवक्ता शाश्वत भारद्वाज द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि बंदरों के खतरे जैसे गंभीर मुद्दों को अधिकारियों ने अच्छे तरीके से प्रबंधन नहीं किया है. अधिकारी समय सीमा के अंदर प्रजनन नियंत्रण तकनीकों को लागू करने के बजाय केवल टाल-मटोल करते रहे हैं. इस याचिका में कहा गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी पहले एक निर्णय पारित किया था और दिल्ली में बंदरों के खतरे के मुद्दे से निपटने के दौरान कुछ दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन हाईकोर्ट के उन निर्देशों को भी प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया.