नई दिल्ली: दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क में सर्दियों के कारण स्नेक हाउस को बंद किया गया. इस स्नेक हाउस में करीब 13 प्रजाति के सांप रहते हैं. बड़ी संख्या में रोजाना इन सांपों को देखने के लिए लोग आते थे, लेकिन मार्च तक के लिए स्नेक हाउस को बंद कर दिया गया है. अगली सर्दी से लोग सर्दी में भी कोबरा, अजगर व अन्य सांप देख सकेंगे. इसके लिए सांप घर के स्ट्रक्चर में बदलाव किया जाएगा, जिससे सर्दियों में भी सांप को सर्दी नहीं लगेगी.
नेशनल जूलॉजिकल पार्क के अधिकारियों के मुताबिक, सांप सर्दियों में बहुत कम निकलते हैं. सांप को सर्दी से बचाने के लिए घासफूस डाली गई है, जिसमें छिपकर सांप बैठे रहें और वह ठंड से बच सकें. इतना ही नहीं हीटर भी लगाया गया है, जिससे स्नेक हाउस गर्म रहे. सदियों में सांप छिपकर बैठे रहते हैं, जिस वजह से स्नेक हाउस में लोग सांप नहीं देख पाते हैं. ऐसे में स्नेक हाउस को बंद करके रखा जाता है. अब अप्रैल में गर्मी शुरू होने पर स्नेक हाउस को खोला जाएगा. अभी स्नेक हाउस में सांपों को खाना देने के लिए सिर्फ रेंजर ही अंदर जाते हैं.
अप्रैल में शुरू होगा सांप घर मे बदलाव:दिल्ली नेशनल जूलॉजिकल पार्क की डायरेक्टर आकांक्षा महाजन का कहना है कि सर्दियों में हाइबरनेशन यानी शीत निद्रा के लिए स्नेक हाउस को बंद कर दिया जाता है. सर्दी से बचने के लिए सांप अंडरग्राउंड हो जाते हैं. सर्दियां खत्म होने के बाद सांप घर में ऐसी व्यवस्था की जाएगी की सर्दी आने पर सब घर को बंद न करना पड़े. और नेशनल जूलॉजिकल पार्क में आने वाले विजिटर्स सांपों को देख सकेंगे. इसके लिए क्या स्ट्रक्चर बदलाव किए जाएंगे शीत ऋतु खत्म होने के बाद किया जाएगा.
हजारों लोग रोजाना आते हैं घूमने:चिड़ियाघर को वन्य जीव उद्यान भी कहा जाता है. दिल्ली में पुराने किले के पास बना चिड़ियाघर एशिया के सबसे अच्छे चिड़याघरों में से एक है. 176 एकड़ में फैले इस चिड़ियाघर का डिजाइन श्रीलंका के मेजर वीनमैन और पश्चिम जर्मनी के कार्ल हेगलबेक ने सन 1959 में बनाया था. चिड़ियाघर में लगभग 1200 से अधिक जानवर व पक्षियां हैं. जिनकी 96 प्रजातियां हैं.
करीब 200 प्रकार के पेड़ हैं. ऑस्टेलिया, अफ्रीका, अमेरिका और एशिया से लाए गए पशु-पक्षी भी हैं. चिड़ियाघर में एक पुस्तकालय भी बना है, जिसमें लोग पेड़, पौधों, पशु-पक्षियों के बारे में पुस्कतों के जानकारी ले सकते हैं. अधिकारियों के मुताबिक रोजाना पार्क में करीब 15 से 18 हजार लोग आते हैं.