नई दिल्ली:देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना का कहर अभी कम नहीं हुआ है. पिछले 24 घंटों में 233 लोगों की मौत कोरोना कि वजह से हो चुकी है. हर रोज 200 से ज्यादा लोगों की मौतें अब भी कोरोना महामारी की वजह से हो रही हैं.
जोखिम लेकर राशन लेने आ रहे लोग ऐसे में दिल्ली के लोग अब भी अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं. सरकारी राशन की दुकानों पर हर रोज सुबह शाम भीड़ देखने को मिल रही है. गरीब और जरूरतमंद लोग बड़ी संख्या में राशन की दुकानों के बाहर सुबह-शाम राशन के लिए कतारों में लगे नजर आ रहे हैं. मई की शुरुआत में राशन के लिए लगी कतारें लॉकडाउन के दौरान 1 किलोमीटर लंबी तक हो गईं.
खतरे में अपनी जान डाल रहे लोग
दिल्ली के अंदर सरकारी राशन की दुकान पर सिर्फ गेहूं और चावल लोगों के लिए उपलब्ध है, जो उन्हें मुहैया कराया जा रहा है. उसके बावजूद भी इन दुकानों पर सुबह शाम हर रोज भीड़ देखने को मिलती है. मोती नगर में राशन स्टोर के मैनेजर ने बातचीत के दौरान बताया कि मई का आधा महीना बीत गया, लेकिन अब भी हर रोज सुबह शाम 100 लोग राशन लेने आते हैं.
हैरानी की बात तो यह है कि महामारी के इस दौर में भी सरकारी राशन की दुकान पर सिर्फ गेहूं और चावल जरूरतमंद और गरीब लोगों के लिए उपलब्ध है, जबकि इन सुविधाओं को बढ़ाया जाना चाहिए था. यहां सिर्फ गेहूं और चावल ही मिलते हैं.
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सोशल डिस्टेंस मेंटेन करके बांटा जा रहा राशन
हालांकि राशन स्टोर के मैनेजर अपने तरफ से हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि सोशल डिस्टेंस मेंटेन करके लोगों में राशन दिया जाए, लेकिन राशन के लिए भीड़ ज्यादा होने पर कभी कभी सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने के लिए लोगों को समझाना राशन स्टोर मैनेजर के लिए एक परेशानी का सबब बन जाता है.
ईटीवी भारत ने लिया राशन स्टोर का जायजा
ईटीवी भारत ने राजधानी में रियलिटी चेक के मद्देनजर राशन स्टोर का जायजा लिया, तो पाया कि राशन स्टोर के मैनेजर अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करके सोशल डिस्टेंस मेंटेन करवाकर लोगों को राशन दे रहे थे. साथ ही साथ लोगों को साफ सुथरा राशन भी मुहैया कराया जा रहा था. लोगों ने भी बातचीत के दौरान कहा कि राशन आराम से मिल रहा है और किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है.
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राशन घर तक ले जाना बुजुर्गों के लिए समस्या
राशन की दुकानों पर राशन लेने आए बुजुर्ग लोगों के लिए वर्तमान समय में लॉकडाउन के चलते समस्या बढ़ गई है. दरअसल कुछ बुजुर्ग अपने पूरे परिवार के लिए राशन लेने आते हैं, जो 20 से 40 किलो के बीच होता है और इतना भार उठाना बुजुर्गों के लिए आसान नहीं होता. ऐसे में उन्हें ऑटो रिक्शा, साइकिल रिक्शा या फिर बैटरी रिक्शा का सहारा लेना पड़ता है. वर्तमान समय में लॉकडाउन होने के चलते सार्वजनिक वाहनों पर भी इसका असर पड़ा है. जिसकी वजह से बुजुर्गों की परेशानियां बढ़ी हैं.
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राशन की होम डिलीवरी योजना का पता नहीं
लोगों के घरों तक राशन की होम डिलीवरी दिल्ली सरकार की बड़ी योजनाओं में से एक योजना है, जो कि अभी तक जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पाई. समय रहते ही राशन की होम डिलीवरी योजना दिल्ली सरकार सही तरीके से जमीनी स्तर पर लागू कर पाती, तो आज राशन की दुकानों पर लंबी-लंबी कतारें नहीं लगतीं और न ही लोग अपनी जान गेहूं और चावल के लिए खतरे में डालते.
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गेहूं चावल के साथ जनता को मिले अन्य चीजें
वर्तमान समय में लॉकडाउन के दौरान लोगों को सरकारी राशन की दुकान से सिर्फ गेहूं और चावल उपलब्ध हो पा रहे हैं. अब जरूरत है कि गेहूं और चावल के साथ ही राशन की दुकानों पर दालें, चीनी और तेल भी मुहैया कराए जाएं.