नई दिल्ली: दिल्ली की याचिका समिति की रिपोर्ट गुरुवार को विधानसभा में रखी गई. इसमें बताया कि उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव और अधिकारियों के साथ मिलकर दिल्ली सरकार को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा. एमसडी चुनाव से पहले बुजुर्गों की पेंशन और मोहल्ला क्लीनिकों का फंड रूकवाया. याचिका समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी ने कहा कि याचिका समिति की जांच में मुख्य सचिव, वित्त सचिव, स्वास्थ्य सचिव और सोशल वेलफेयर डायरेक्टर को दोषी करार दिए गए हैं. एलजी के माध्यम से अधिकारियों को डरा धमकाकर दिल्ली के 4.10 लाख बुजुर्गों की पेंशन रोकने का काम किया गया.
जांच के दौरान अधिकारियों ने गोपनीय क्लॉज के तहत बताया कि एलजी ने दिल्ली सरकार की व्यवस्था को ठप करने के आदेश दिए हैं. बुजुर्गों की 2 हजार रुपये की पेंशन में 200 रुपये केंद्र सरकार की अनुदान राशि होती है, जिसे केंद्र सरकार डेढ़ साल से नहीं दे रही है. ऐसे संवेदनहीन अधिकारियों को कभी भी फ्रंटलाइन की कोई जिम्मेदारी न दी जाए. इनके सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए कि ये लापरवाह और संवेदनहीन लोग हैं. इसकी सूचना लोकसभा स्पीकर को भी दी जाए साथ ही ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए. याचिका समिति के सदस्य सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य सचिव और वित्त सचिव द्वारा विभागों का पैसा रूकवाया.
एमसीडी चुनाव से पहले मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर्स के वेतन, जांचें और दवाइयां रोकी गईं ताकि बीजेपी को चुनाव में फायदा हो. आईएएस पूजा जोशी ने एमसीडी चुनाव से पहले अचानक पेंशन रोकने की साजिश रची. दिल्ली के बड़े-बड़े आईएस अधिकारियों ने घिनौना कृत्य रचा जिससे गरीब, बुजुर्ग, विधवा दुखी होकर सरकार को गाली दें और इसका फायदा भाजपा को एमसीडी चुनाव में मिले. चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार ने सब कुछ मालूम होते हुए भी इस तरीके से गड़बड़ करने वाले अफसरों को संरक्षण दिया. उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. कहा कि मोहल्ला क्लीनिक की रिपोर्ट में याचिका समिति ने हेल्थ सेक्रेटरी अमित सिंगला, प्रिंसिपल सेक्रेटरी आशीष चंद्र वर्मा को दोषी पाया है. मोहल्ला क्लीनिक और पेंशन के मामलों में एलजी की भूमिका बहुत संदिग्ध पाई गई है.