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दिल्ली एम्स में मरीजों का बोझ कम करने के लिए जल्द लागू होगी रेफरल नीति - दिल्ली एम्स

Delhi AIIMS Referral Policy: दिल्ली एम्स मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए देशभर में मौजूद अन्य एम्स के साथ रेफरल नीति बनाने पर काम कर रहा है. इसके तहत दूसरे राज्यों से आने वाले मरीजों को दिल्ली एम्स में परामर्श के लिए पहले अपने नजदीकी एम्स से रेफर लिखवाना होगा.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 13, 2024, 12:42 PM IST

Updated : Jan 13, 2024, 2:57 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली एम्स अस्पताल में बढ़ते मरीजों के बोझ को कम करने के लिए देश के अन्य एम्स के साथ मिलकर रेफरल नीति तैयार करेगा. इसके लिए जिन राज्यों में पहले से एम्स की सुविधा उपलब्ध है, वहां के मरीजों को उनके राज्य में ही बेहतर सुविधा मिले उन्हे दिल्ली नहीं आना पड़े इसके लिए एम्स की तरफ से प्रयास किया जाएगा. स्टाफ को ट्रेनिंग के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से सेवाओं को उन्नत बनाया जाएगा. इस समय दिल्ली एम्स में 30 से 40 प्रतिशत मरीज उन राज्यों से इलाज कराने आते हैं, जहां पहले से एम्स की सुविधा मौजूद है. इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, उत्तराखंड और अन्य कई राज्य शामिल हैं.

इस नीति के तहत उस राज्य के मरीज को पहले अपने राज्य के एम्स में ही इलाज के लिए जाना पड़ेगा. इसके बाद अगर उस राज्य के एम्स के डॉक्टर दिल्ली एम्स में मरीज को दिखाने के लिए रेफर करते हैं तो ही मरीज को लेकर दिल्ली एम्स आना होगा. जबकि इससे पहले तक मरीज को संबद्ध राज्य के एम्स में ही इलाज देकर दिल्ली एम्स की भीड़ को कम करने पर जोर रहेगा.

एम्स के डॉक्टर का कहना है कि दूसरे राज्य से आने वाले 40 प्रतिशत मरीजों को सिर्फ परामर्श और सामान्य इलाज देकर ही ठीक किया जा सकता है. लेकिन, इन्हें अपने राज्य के एम्स के बारे में जानकारी न होने के चलते दिल्ली तक आना पड़ता है. इस समस्या को खत्म करने के लिए दिल्ली एम्स अन्य राज्यों के एम्स के साथ मिलकर एक डैशबोर्ड बनाने पर भी विचार कर रहा है. डैशबोर्ड से सभी राज्यों के एम्स में खाली बेड और उनमें उपलब्ध इलाज के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी.

बता दें कि दिल्ली एम्स इलाज के लिए आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा) के माध्यम से मरीज का पंजीकरण करता है. इस आईडी के माध्यम से दूसरे एम्स भी मरीज की हिस्ट्री और संबंधित जांच रिपोर्ट देख सकेंगे. ऐसे में रिपोर्ट के बाद परामर्श के लिए मरीज को दिल्ली एम्स पर नहीं निर्भर होना पड़ेगा. साथ ही आभा आईडी के माध्यम से दूसरे राज्यों के एम्स के डॉक्टर भी दिल्ली एम्स के डॉक्टर के साथ मरीज की रिपोर्ट साझा करके परामर्श ले सकेंगे. अगर दिल्ली एम्स के डॉक्टर को लगता है कि मरीज को दिल्ली बुलाने की जरूरत है तो वह रेफरल मॉडल के जरिए ही मरीज को दिल्ली बुला सकेंगे.

अभी एम्स में भीड़ के चलते मिलती है लंबी तारीख:उल्लेखनीय है कि दिल्ली एम्स में देश भर से इलाज कराने आने वाले मरीजों की बाहरी भीड़ के चलते जांच कराने और सर्जरी करने के लिए लंबी तारीख मिलती है. इसके चलते मरीज के इलाज में भी देरी होती है. इसलिए दिल्ली एम्स की कोशिश है कि अगर कोई गंभीर मरीज इलाज के लिए दिल्ली आता है तो उसका एक बार इलाज करके उसकी हालत को स्थिर करने के बाद उसे संबंधित राज्य के एम्स में ही फॉलोअप के लिए बुलाया जाए. इससे दिल्ली एम्स में मरीजों की भीड़ कम होने के बाद वेटिंग भी कम होगी और गंभीर मरीजों को भी समय पर इलाज मिल सकेगा.

दिल्ली के अस्पतालों के साथ नहीं बन पाई रेफरल नीति:दिल्ली एम्स में निदेशक का कार्यभार ग्रहण करने के बाद ही डेढ़ साल पहले निदेशक प्रोफेसर एम श्रीनिवास ने दिल्ली के सभी अस्पतालों के निदेशकों के साथ बैठक करके रेफरल नीति बनाने की कोशिश की थी. जिससे कि दिल्ली के अस्पतालों में इलाज कराने आने वाले मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में इलाज के लिए न भटकना पड़े और उन्हें आवश्यक इलाज मिल जाए. लेकिन, दिल्ली के अस्पतालों के साथ यह नीति परवान नहीं चढ़ सकी और अभी तक ठंडे बस्ते में ही है. अब एम्स निदेशक का प्रयास है कि दिल्ली के अस्पतालों के साथ रेफरल नीति नहीं बनी तो कम से कम राज्यों के एम्स के साथ तो रेफरल नीति बन जाए जिससे कि मरीज को उसका लाभ मिल सके और दिल्ली एम्स पर कुछ बोझ कम हो.

Last Updated : Jan 13, 2024, 2:57 PM IST

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