नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट आज किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर टूलकिट फैलाने के मामले में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा. वहीं इस मामले में पिछले 20 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का खालिस्तान से संबंध
सुनवाई के दौरान एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नामक संगठन खालिस्तान की वकालत करता है. इसके संस्थापक धालीवाल और अमिता लाल हैं। इसके ट्वीट सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं. ये संगठन खालिस्तान के लिए लोगों को गोलबंद करता है. इस संगठन ने किसान आंदोलन का लाभ लेना चाहा और उसके जरिये अपनी गतिविधियां आगे बढ़ाना चाहती थी। उसमें दिशा रवि भी शामिल है.
11 जनवरी को जूम के जरिये बैठक की
राजू ने कहा था कि जो टूलकिट बनाया गया उसकी साजिश कनाडा में रची गई. ये राजद्रोह की धाराएं लगाने के लिए काफी हैं। राजू ने कहा कि उन्होंने इंटरनेशनल फारमर्स स्ट्राईक नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप बनाया. उन्होंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संपर्क बनाने की कोशिश की. राजू ने कहा कि दिशा रवि और दूसरे आरोपियों ने 11 जनवरी को जूम के जरिये धालीवाल और दूसरे आरोपियों से बात की.
सुनवाई के दौरान दिशा रवि की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि अगर हम किसी डकैत के पास मंदिर के लिए दान मांगने जाते हैं, तो इसका मतलब ये है कि हमें डकैती की पूर्व जानकारी थी. उन्होंने कहा था कि अगर हम किसी आंदोलन से जुड़े हैं और कुछ खास लोगों से मिल रहे हैं, तो आप उनके इरादों को हम पर कैसे थोप सकते हैं.
कोर्ट ने कनेक्शन का सीधा साक्ष्य मांगा
कोर्ट ने राजू से पूछा था कि क्या कोई साक्ष्य है या केवल शक के आधार पर आरोप हैं। तब राजू ने कहा था कि परिस्थितियां देखिए, खालिस्तानी मूवमेंट हिंसक रहा है. तब कोर्ट ने पूछा था कि आरोपी के खिलाफ वास्तविक साक्ष्य क्या है. आप खालिस्तानी लिंक को छोड़कर दूसरा तथ्य बताएं। तब राजू ने कहा था कि साजिश दिमागों के मिलन से होता है। कानून के मुताबिक साजिश की शर्तें पूरी हो रही हैं. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या मैं ये मानूं कि अब तक कोई सीधा लिंक नहीं है. तब राजू ने कहा था कि पुलिस अभी जांच कर रही है.
'दिशा रवि का खालिस्तान से लिंक नहीं'