नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने टेरर फंडिंग के चार आरोपियों को बरी कर दिया है. स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने कहा कि NIA यह साबित करने में नाकाम रही कि आरोपी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन के स्लीपर सेल के रूप में काम कर रहे थे.
कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया है, उनमें मोहम्मद सलमान, मोहम्मद सलीम, आरिफ गुलाम बशीर धरमपुरिया और मोहम्मद हुसैन मोरानी शामिल हैं. इनके खिलाफ आरोप था कि ये पाकिस्तानी संगठन फलह-ए-इंसानियत से पैसे लेकर भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए स्लीपर सेल के रूप में काम कर रहे थे. फलह-ए-इंसानियत को संयुक्त राष्ट्र ने 14 मार्च 2012 को आतंकी संगठन घोषित किया था.
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इन आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और UAPA की धाराओं 17, 20 और 21 के तहत आरोपी बनाया था. कोर्ट ने कहा कि भले ही सलमान की गतिविधियां संदेहास्पद थीं. वह और इस मामले के सह-आरोपी हवाला के कारोबार में शामिल थे. इसके बावजूद अभियोजन इस आरोप को साबित करने में नाकाम रही है कि दुबई से मिली रकम का उपयोग उन्होंने आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में किया है. उन्होंने कहा कि इस बात के भी सबूत नहीं हैं कि उस धन का उपयोग लश्कर-ए-तैयबा या जमात-उद-दावा या फलह-ए-इंसानियत के लिए किया है.