नई दिल्ली: राजधानी के निजी स्कूलों में EWS कैटेगरी के तहत नाम आने के बाद अभिभावकों के चेहरे पर आई खुशी अब उनकी परेशानी का कारण बन रही है. दरअसल लकी ड्रा में नाम आने के बाद भी कई ऐसे स्कूल हैं, जो स्कूल में सीट ना होने की बात कहकर बच्चों का एडमिशन नहीं कर रहे हैं तो दूसरी ओर कई ऐसे निजी स्कूल हैं, जो टाइपिंग में हुई छोटी-छोटी गलती का बहाना देकर एडमिशन देने से इंकार कर रहे हैं.
EWS कैटेगरी के तहत बच्चों के नाम आने के बाद भी अभिभावक परेशान, काट रहे निदेशालय का चक्कर नर्सरी एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है
बता दें कि निजी स्कूलों में EWS कैटेगरी के तहत नर्सरी एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है. निजी स्कूलों में चयन के लिए छात्रों का गत माह 27 फरवरी को लकी ड्रॉ निकाला गया था. उसके बाद भी कई अभिभावक ऐसे भी हैं, जिनके बच्चों का लकी ड्रा में नाम आने के बाद भी स्कूल प्रशासन उन्हें एडमिशन देने से इंकार कर रहा है. जिसके बाद अभिभावक स्कूल से शिक्षा निदेशालय के चक्कर लगाने को मजबूर हो गए हैं.
EWS कैटेगरी के तहत बच्चों के नाम आने के बाद भी अभिभावक परेशान, काट रहे निदेशालय का चक्कर एडमिशन देने के लिए कर रहे परेशान
शिक्षा निदेशालय द्वारा 27 फरवरी को निकाले गए सर्कुलर में साफ तौर पर कहा गया है कि कोई भी स्कूल प्रशासन लकी ड्रा में चयनित हुए छात्र को एडमिशन देने से किसी भी प्रकार से इनकार नहीं कर सकता है. सर्कुलर में ये भी कहा गया है कि अगर फॉर्म में किसी एक स्पेलिंग या तारीख में टाइपिंग दिक्कत है, तो उस एवज में भी स्कूल प्रशासन छात्र को एडमिशन देने से इनकार नहीं कर सकता है.
EWS कैटेगरी के तहत बच्चों के नाम आने के बाद भी अभिभावक परेशान, काट रहे निदेशालय का चक्कर निर्देशों को ताक पे रखकर मनमानी
लेकिन निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय के निर्देशों को ताक पर रखकर अपनी मनमानी करने में लगे हुए हैं और एडमिशन प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही इन बातों का हवाला देते हुए बच्चों को एडमिशन देने से इंकार कर रहे हैं. निजी स्कूलों के इस रवैये से परेशान अभिभावकों को स्कूल से शिक्षा निदेशालय और शिक्षा निदेशालय से स्कूल का चक्कर काटकर अपने समय बर्बाद करना पड़ रहा है.
अपनी परेशानी को लेकर शिक्षा निदेशालय पहुंचे अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में सीट होने के बाद भी और शिक्षा निदेशालय से स्कूल प्रशासन को कहने के बाद भी कई ऐसे निजी स्कूल हैं, जो एडमिशन देने के लिए परेशान कर रहे हैं.
अभिभावकों को बच्चे की भविष्य की चिंता
वहीं एक अभिभावक ने कहा कि बच्चे का लकी ड्रा में नाम आने के बाद खुश थे कि अब उसे अच्छे स्कूल में शिक्षा मिलेगी और उसका भविष्य संवर जाएगा, लेकिन एडमिशन ना मिलने की वजह से परेशानी कम नहीं हो रही है. वहीं कई अभिभावकों को यह डर भी सता रहा है कि दाखिले के लिए निर्धारित तारीख अगर ऐसे ही विवादों में निकल जायेगी तो उनके बच्चे के भविष्य का क्या होगा.
परेशानियों को लेकर दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा कि नर्सरी एडमिशन ऑनलाइन होने के बावजूद भी अभिभावकों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है, बल्कि यह परेशानी और बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि कई ऐसे स्कूल है जहां पर सीट होने के बावजूद भी वह बच्चे को एडमिशन देने से इंकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि निजी स्कूल सीटों का हेर-फेर करते हैं, जिसकी वजह से EWS कैटेगरी के तहत होने वाले एडमिशन में वह अभिभावकों को परेशान करते हैं और छात्रों को आरक्षित सीटों का लाभ नहीं मिल पाता.
शिक्षा निदेशालय के आदेश की अवहेलना
अपराजिता ने बताया कि रोजाना शिक्षा निदेशालय के पास करीब 40 से 50 शिकायत स्कूल प्रशासन की मनमानी को लेकर मिल रही है, लेकिन शिक्षा निदेशालय की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है.
बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़
उन्होंने कहा कि स्कूल प्रशासन टाइपिंग एरर की वजह से भी अभिभावकों को परेशान कर रहे हैं. जबकि शिक्षा निदेशालय द्वारा निकालेगए सर्कुलर में साफ लिखा था कि टाइपिंग एरर की वजह से कोई भी स्कूल प्रशासन बच्चे को एडमिशन देने से इनकार नहीं कर सकता है.
अभिभावक संघ सहित कई अभिभावक इस मामले को लेकर शिक्षा मंत्री को पत्र भी लिख रहे है. साथ ही शिक्षा निदेशालय से अपील भी कर रहे हैं कि वह उन निजी स्कूलों पर सख्ती बरते जो अपने फायदे के लिए बच्चों के भविष्य से ही खिलवाड़ ही नहीं कर रहे बल्कि शिक्षा निदेशालय के आदेश की भी अवहेलना कर रहे हैं.