नई दिल्ली:इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का ऑडिटोरियम रविवार को “समवेत” संगीतमयी शाम से झंकृत हो उठा. अवसर था केंद्र के “कला दर्शन” विभाग (kala darshan division) के स्थापना दिवस का. इस अवसर पर ब्रजनगर, भरतपुर (राजस्थान) के अमित पलिवार और उनके साथियों ने दर्शकों के सामने तालबंदी की झुमा देने वाली प्रस्तुति दी, तो जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से आए अब्दुल हमीद भट्ट और उनके समूह ने रवाब वादन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. सुब्रत गंगोपाध्याय, जो ह्यूस्टन (अमेरिका) से आए थे. वह “इंडियन हिस्ट्री अवेयरनेस रिसर्च” (IHAR) के संस्थापक भी हैं.
इस अवसर पर डॉ. सुब्रत गंगोपाध्याय ने कहा कि कल्चर का अर्थ होता है कुलाचार, जिसका संरक्षण इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र कर रहा है. इस कुलाचार के संरक्षण के कई रूप हैं, जिनमें फाइन आर्ट से लेकर संगीत तक की विधाएं शामिल हैं. उन्होंने कहा कि हम तार वाद्य (स्ट्रिंग इंस्ट्रुमेंट), जैसे कि सरस्वती वीणा, रुद्र वीणा आदि के इतिहास की बात करते हैं, जो हमारे शास्त्रों से जुड़ा है. कला के माध्यम से, संगीत के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति होती, स्वयं की प्राप्ति होती है. इसलिए कला का स्थान श्रेष्ठ है. विज्ञान बाहर का ज्ञान है और कला अंदर का ज्ञान है
ब्रज की तालबंदी और कश्मीर के रवाब से महकी दिल्ली की एक शाम
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के कला दर्शन विभाग (kala darshan division) के स्थापना दिवस पर केंद्र का ऑडिटोरियम “समवेत” संगीतमयी शाम से झंकृत हो उठा. ब्रजनगर, भरतपुर (राजस्थान) के अमित पलिवार और उनके साथियों ने दर्शकों के सामने तालबंदी की झुमा देने वाली प्रस्तुति दी, तो श्रीनगर से आए अब्दुल हमीद भट्ट और उनके समूह ने रवाब वादन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
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Last Updated : Nov 21, 2022, 4:00 PM IST