नई दिल्ली: आर्थिक बदहाली से जूझ रही नॉर्थ एमसीडी (North Municipal Corporation of Delhi) की 29 मार्केट से लीज रेंट लेने की नीति पर विपक्ष ने सवाल उठाया है. विपक्ष का कहना है कि पिछले कई सालों से बजट में इस योजना को प्रस्तावित किया जा रहा है, लेकिन इस पर अमल नहीं किया जाता है. हर बार नए स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन (Chairman of the Standing Committee)वादा करते हैं लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं करते.
बता दें कि, संपत्तियों के रेट को लेकर सेटलमेंट करना टेढ़ी खीर है. 2015 के बाद से निगम ने अपने अंतर्गत आने वाली किसी भी मार्केट से अपने हक का किराया नहीं लिया है और न ही इसके लिए एमसीडी ने कोई कड़ा कदम उठाया है. पुरानी दिल्ली के क्षेत्र में जिन चार क्लब का लाइसेंस कैंसिल किया गया था उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई.
आर्थिक बदहाली से जूझ रही नॉर्थ एमसीडी. ये भी पढ़ें: दिल्ली का तिलक नगर मार्केट आज से 27 जुलाई तक के लिए बंद
नॉर्थ एमसीडी (North Municipal Corporation of Delhi) इन दिनों भयंकर आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रही है. इसको देखते हुए निगम के द्वारा अब अलग-अलग योजनाओं को शुरू किया जा रहा है. ताकि राजस्व को बढ़ाया जा सके. इस बीच हाल ही में स्टैंडिंग कमेटी के नए चेयरमैन जोगीराम जैन ने कहा था कि निगम अपने अंतर्गत आने वाली 29 मार्केट से अब लीज रेंट लेगी और इन मार्केट को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाया जाएगा.
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इस पूरे मामले के ऊपर ETV BHARATसे बातचीत के दौरान नॉर्थ एमसीडी में कांग्रेस नेता मुकेश गोयल और नेता विपक्ष विकास गोयल ने बातचीत में कहा कि नॉर्थ एमसीडी में शासित बीजेपी की सरकार की नीयत ठीक नहीं है. जनता की भलाई करना तो दूर कोरोनाकाल में लगातार व्यापारियों के ऊपर अलग-अलग तरीके से टैक्स का भार बढ़ाया जा रहा है. विपक्ष का कहना है कि कमर्शियल टैक्स, संपत्ति टैक्स और लाइसेंस फीस लगातार बढ़ाई जा रही है. व्यापारी वर्ग के ऊपर अतिरिक्त भार डाला जा रहा है. नॉर्थ एमसीडी के बजट में हर साल इन 29 मार्केट से लीज रेंट लेने और फ्री होल्ड करने की बात की जाती है.
निगम कमिश्नर द्वारा बाकायदा बजट में यह भी कहा गया है कि यदि इन 29 मार्केट को फ्री होल्ड कर दिया गया और लीज रेंट ले लिया गया तो इससे निगम को करोड़ों रुपए के राजस्व की प्राप्ति होगी. लेकिन इस कड़ी में पिछले 4 से 5 सालों में निगम के द्वारा कोई भी कदम अभी तक नहीं उठाया गया है. हर बार यह प्रस्ताव बजट में आता है लेकिन उसके बाद यह ठंडे बस्ते में चला जाता है.
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वर्तमान हालातों की बात करें तो नॉर्थ एमसीडी के कार्यकाल में अब बस 10 महीने का वक्त बचा है. जिसमें लगभग एक महीना शेष रहते आचार संहिता लग जाएगी. ऐसे में नॉर्थ एमसीडी में शासित भाजपा की सरकार के पास महज 7 से 8 महीने का समय है. ऐसे में इन 29 मार्केट से लीज रेंट लेना और सभी मार्केट को फ्री होल्ड करना एक टेढ़ी खीर है. क्योंकि इन सभी जगह पर अभी तक संपत्तियों के रेट को लेकर कुछ भी तय नहीं हुआ है. जहां एक तरफ व्यापारी वर्ग संपत्ति के रेट को लेकर अलग मत रखता है तो वहीं निगम अधिकारियों द्वारा अलग रेट तय किए गए हैं जिसकी वजह से भ्रम की स्थिति बनी हुई है.
कांग्रेस नेता मुकेश गोयल का कहना है कि अगर अगले 7 से 8 महीने में एक भी मार्केट को नॉर्थ एमसीडी फ्री होल्ड करने के साथ अगर उसे लीज रेंट पूरी तरीके से ले लेती है. तो निगम में शासित भाजपा की सरकार को कांग्रेस सदन के अंदर बधाई देगी. लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है जितना स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन बोल रहे हैं.
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नॉर्थ एमसीडी वर्तमान समय में भयंकर आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रही है. यहां तक कि निगम के पास अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन तक देने के लिए राजस्व नहीं है. अभी भी निगम कर्मचारियों का लगभग 2 महीने का वेतन बकाया है. इसकी वजह से निगम को कोर्ट से भी फटकार पड़ रही है. नॉर्थ एमसीडी ने पुरानी दिल्ली के क्षेत्र में आने वाली 29 अलग-अलग मार्केट से लीज रेंट वसूलने का फैसला किया है. दरअसल इन सभी मार्केट्स का आवंंटन आज़ादी के बाद किया गया था, जो लीज पर दी गई थी जिसका रेंट निगम को व्यापारियों के द्वारा दिया जाना था. लेकिन हालात यह है कि पिछले कई साल से निगम को इन 29 मार्केट से किसी भी प्रकार का कोई लीज रेंट नहीं मिल रहा है.
जिसके बाद अब वर्तमान में निगम की आर्थिक बदहाली को देखते हुए इन सभी मार्केट्स से निगम अपना बकाया लीज रेंट लेने जा रही है. जिसके लिए नीति भी तैयार की जा चुकी है. निगम इस कड़ी में कई व्यापारी संगठनों के साथ संपर्क में भी है. ताकि ना सिर्फ मार्केट्स को फ्री होल्ड करके व्यापरियों को सहूलियत दी जाए, बल्कि निगम को राजस्व की भी प्राप्ति हो. वहीं निगम में विपक्ष के द्वारा इस पूरी नीति को लेकर संशय जताया जा रहा है. विपक्ष का कहना है कि पिछले कई सालों से इस पूरी नीति को लागू करने को लेकर प्रयास किए जा रहे लेकिन अभी तक भाजपा शासित निगम को सफलता नहीं मिली है. ऐसे में लगता नहीं है कि भाजपा शासित निगम अगले 6 से 7 महीने का अपने कार्यकाल में इस नीति को लागू कर पाएगी.