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निर्भया के हत्यारों की फांसी को हुआ एक साल, जेल कोठरी आज तक बंद

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Published : Mar 20, 2021, 7:19 AM IST

निर्भया कांड के चारों दोषियों की तिहाड़ जेल में हुई फांसी को आज एक साल पूरा हो गया है. 20 मार्च 2020 की सुबह 5.30 बजे निर्भया कांड के चारों दोषियों को फांसी पर लटकाया गया था.

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निर्भया के हत्यारों की फांसी को हुआ एक साल

नई दिल्ली:निर्भया कांड के चारों दोषियों की तिहाड़ जेल में हुई फांसी को आज एक साल पूरा हो गया है. 20 मार्च 2020 की सुबह 5.30 बजे निर्भया कांड के चारों दोषियों को फांसी पर लटकाया गया था. इस मामले में तिहाड़ जेल के बाहर फांसी के बाद इंसाफ की जीत का जश्न भी मनाया गया था. तिहाड़ जेल में एक साथ चार दोषियों को फांसी देने की यह पहली घटना थी. इसके बाद से यह फांसी घर बंद पड़ा हुआ है.

निर्भया केस में छह आरोपी हुए थे गिरफ्तार

जानकारी के अनुसार 16 दिसंबर 2012 को हुई इस दर्दनाक वारदात में कुल छह आरोपी पकड़े गए थे. इनमें से एक आरोपी नाबालिग था. वहीं गिरफ्तार हुए पांच आरोपियों में से राम सिंह ने तिहाड़ में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी. अन्य चार दोषियों मुकेश सिंह, अक्षय, विनय और पवन को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी.

इनकी दया याचिका को राष्ट्रपति द्वारा खारिज कर दिया गया था. इसके बाद अदालत ने 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी का समय मुकर्रर किया था. ठीक इसी समय तिहाड़ जेल में चारों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था.


बेहद चुनौतीपूर्ण थी एक साथ चार फांसी

निर्भया कांड के चारों दोषियों को 20 मार्च 2020 की सुबह एक साथ फांसी दे दी गई. लेकिन यह फांसी जेल प्रशासन के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण थी. इसके लिए तिहाड़ जेल में पहले से तैयारियां की गई थी. जल्लाद को तिहाड़ जेल में बुलाकर कई बार डमी फांसी का ट्रायल किया गया था.

इसके लिए दो अलग-अलग लीवर वाला सिस्टम बनाया गया था. 15 लोगों की एक टीम फांसी दिए जाने के समय मौजूद थी. इस टीम के सदस्य तड़के ही जेल में पहुंच गए थे. फांसी देने से लेकर अंतिम प्रक्रिया पूरी करने में इस टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा.

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जानिए कैसी थी फांसी से पहले की रात
19 मार्च 2020 को फांसी से पहले वाली रात चारों दोषियों को खाने में रोटी और खिचड़ी दी गई थी. परेशान होने के चलते उन्होंने थोड़ा ही खाना खाया था. मुकेश और विनय को वार्ड नंबर 8 में रखा गया था जबकि पवन को वार्ड संख्या एक और अक्षय को वार्ड संख्या 7 में रखा गया था. तीनों वार्ड में 15 पहरेदार उनके साथ लगातार मौजूद रहते थे.

उन्हें इस बात की जानकारी मिल चुकी थी कि सुबह उन्हें फांसी होनी है. इसलिए पूरी रात वह ठीक से सो नहीं सके थे. उन्हें लग रहा था कि इस बार भी कोर्ट का कोई ऑर्डर उन्हें बचा लेगा. इसलिए वह बार-बार सुरक्षाकर्मियों से पूछते रहे कि क्या कोर्ट से उनके बचाव का कोई ऑर्डर आया है.

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रात को खाया था मैगी और लड्डू

फांसी से कुछ घंटे पहले पवन को छोड़ अन्य तीनों दोषियों ने भूख लगने की बात कही थी. उन्होंने मैगी और लड्डू की मांग जेल प्रशासन के समक्ष रखी थी जिसे पूरा किया गया.

तड़के लगभग 3:40 बजे जेल मैनुअल के अनुसार कैदियों को जगाया गया तो उनके चेहरे का रंग उड़ा हुआ था. यह साफ पता चल रहा था कि वे रात भर नहीं सोए हैं. चारों को नहाने के लिए पूछा गया लेकिन उन्होंने मना कर दिया था. विनय बार-बार माफी मांग रहा था.

फांसी से पहले जेल प्रशासन द्वारा नए कपड़े पहनाए जाते हैं. लेकिन विनय ने इसे नहीं पहना था. वहीं पवन ने समझाने पर इसे पहन लिया था.

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सुबह 5.30 बजे दी गई थी फांसी

20 मार्च 2020 की सुबह लगभग 5 बजे उन्हें फांसी की कोठी में ले जाया गया था. फांसी की कोठरी में डीएम नेहा बंसल, डीजी संदीप गोयल, जेल सुपरिटेंडेंट, मेडिकल ऑफिसर, असिस्टेंट सुप्रिटेंडेंट सहित 15 लोग मौजूद थे. फांसी कोठरी में जाने से पहले ही उनके चेहरे ढक दिए गए थे.

उनके चेहरे पर नकाब डाला गया ताकि वह अंदर होने वाली प्रक्रिया को आंखों से न देख सकें. आखिरी आधे घंटे में जेल के अंदर खामोशी थी. केवल इशारे से बात की जा रही थी. सुबह ठीक 5:30 बजे उन्हें फांसी के फंदे से लटका दिया गया था. आधे घंटे तक फंदे पर शव लटका रहा जिसके बाद सुबह 6 बजे डॉक्टर ने चारों को मृत घोषित कर दिया था.

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