नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली में कोविड के दौरान कई शिक्षण संस्थान बंद हो गए थे. राजधानी में बहुत सारे बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते थे, लेकिन कोरोना के बाद यही निजी स्कूलों के बच्चे सरकारी स्कूलों की तरफ रूख करने लगे. इस प्रकार सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या काफी बढ़ने (Number of students increased in government schools of Delhi) लगी. यह जानकारी बुधवार को जारी प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट में सामने आई है. रिपोर्ट में प्रजा फाउंडेशन ने दिल्ली में सार्वजनिक (स्कूल) शिक्षा के दस साल के चलन का विश्लेषण किया है.
आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में 2018-19 से छात्रों की संख्या बढ़ रही है और कोविड -19 के दौरान 2018-19 से 2021-22 तक इन संख्याओं में 18% की वृद्धि हुई. हालांकि यह अभी भी चिंताजनक है कि 2014-15 से 2020-21 तक 9वीं कक्षा के छात्रों में से 38% (7,58,338 ) छात्र 10वीं कक्षा में जाने में विफल रहे और 11 वीं कक्षा के छात्रों में से 19% (2,23,471) छात्र 12वीं कक्षा में जाने में विफल रहे.
रिपोर्ट के मुताबिक, 9वीं और 11वीं कक्षा के छात्रों की बढ़ती संख्या, जो अगली कक्षा में जाने में विफल रहे, का कारण 8वीं और उससे नीचे के कक्षा के छात्रों के शिक्षण परिणामों के सुधार में पर्याप्त ध्यान देने की कमी हो सकती है. पत्राचार और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एन.आई.ओ.एस) परियोजना जैसी राज्य योजनाएं इन छात्रों को 10वीं और 12वीं की परीक्षा करवाकर अपनी शिक्षा पूरी करने का मौका देती हैं.
प्रजा फाउंडेशन के डायलॉग प्रोग्राम प्रमुख योगेश मिश्रा ने बताया कि इन योजनाओं के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि 2019-20 में, 9वीं कक्षा में असफल होने वाले 60,635 छात्रों में से केवल 26% ने 2020-21 में पत्राचार और एन.आई.ओ.एस के लिए नामांकन किया. हालांकि, पत्राचार 10वीं परीक्षा के लिए उपस्थित छात्रों में से केवल 47% ही परीक्षा पास कर सके. इसी तरह 2020-21 में, 11वीं कक्षा में असफल होने वाले 4,008 छात्रों में से केवल 40% छात्रों ने 2021-22 के लिए पत्राचार में दाखिला लिया, जिसमें से 70% 12वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण कर सके.