नई दिल्ली:30 अगस्त तक के आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में रजिस्टर्ड कुल वाहनों में 23 लाख से अधिक वाहनों का पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट एक्सपायर हो चुका है. प्रदूषण की रोकथाम के लिए परिवहन विभाग सख्ती बरत रहा है. इससे वाहनों के पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाने वालों की संख्या करीब 75 प्रतिशत तक बढ़ गई है.
दिल्ली के पटपड़गंज स्थित एक पेट्रोल पंप पर वाहनों का पीयूसी सर्टिफिकेट बनाने वाले अरविंद शर्मा ने बताया कि जांच में वाहनों से कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन उत्सर्जन को नापा जाता है. कार व मोटरसाइकिल में bs6, bs4, bs3, bs2, bs1 सभी के अलग-अलग मानक होते हैं. कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन उत्सर्जन का भी अपना अलग मानक होता है. इसके आधार पर पीयूसी सर्टिफिकेट जारी किया जाता है.
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने लगा है और प्रदूषण की रोकथाम को लेकर प्रशासन शख्ती बरत रहा है. ऐसे में पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाने वालों की संख्या बढ़ी है. पहले मुश्किल से 20 लोग रोजाना पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आते थे. अब यह आंकड़ा करीब 35 पहुंच गया है. दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण बढ़ रहा है प्रशासन की ओर से शख्ती बरती जा रही है. लोग भी जागरूक हो रहे हैं.
क्या है PUC सर्टिफिकेट?
PUC यानी कि पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (Pollution under Control Certificate) को सभी गाड़ियों के लिए अनिवार्य कर दिया है. इसका सीधा मक्सद बढ़ते एयर पॉल्यूशन को कम करने का होता है. बता दें, PUC के वक्त इस बात का ख्याल रखा जाता है कि कोई गाड़ी तय किए गए स्टैंडर्ड से ज्यादा पॉल्यूशन तो नहीं कर रही है. जब तक गाड़ी का पॉल्यूशव टेस्ट नहीं हो जाता है, तब तक सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता है.
मानक से ज्यादा वाहन के प्रदूषण करने पर नियम:यदि किसी का वहां मानक से ज्यादा प्रदूषण कर रहा है. ऐसी स्थिति में सिर्फ 24 घंटे के लिए ही पीयूसी सर्टिफिकेट जारी होता है. इस अवधि में पुलिस या परिवहन विभाग को पीयूसी सर्टिफिकेट दिखाकर जुर्माने से बच सकते हैं. इसके बाद इंजन को ठीक कराकर 24 घंटे के अंदर दोबारा पीयूसी की जांच कराकर पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाना पड़ता हैं.