नई दिल्लीःभारतीय सिनेमा के मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए. उनके जाने से हिंदी सिनेमा के एक युग का अंत हो गया है. दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार को लोग उनके शानदार अभिनय के लिए जानते हैं. फिल्मों में जान डालने वाले उनके किरदार, चेहरे के एक्सप्रेशन, हाव भाव के लोग कायल हो जाते थे और शायद हमेशा रहेंगे. क्योंकि उनके जैसी अदाकारी शायद ही कोई और परदे पर उतार पाया है. वह अपने हर एक किरदार को पूरी सच्चाई, ईमानदारी और उस भाव से निभाते थे कि मानो कोई रियल कैरेक्टर हो.
ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार के अभिनय को लेकर ईटीवी भारत ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में अभिनय के वरिष्ठ प्रोफेसर दिनेश खन्ना से बात की. ईटीवी भारत की टीम ने दिलीप कुमार के अभिनय के पीछे क्या कुछ मेहनत और किस प्रकार से आज के कलाकारों को सीखने की जरूरत है, यह जानने की कोशिश की. प्रोफेसर दिनेश खन्ना ने बताया दिलीप कुमार अभिनय का एक पूरा पिटारा थे, उन्होंने ना केवल फिल्मों में शानदार अभिनय किया, बल्कि अपने हर एक किरदार को बखूबी जिया और उसमें वह जान डालकर पर्दे तक पहुंचाया.
पिछले करीब 30 सालों से एनएसजी में अभिनय सीखा रहे प्रोफेसर दिनेश खन्ना ने बताया कि दिलीप कुमार ने हिंदी सिनेमा में एक स्वर्णिम युग की शुरुआत की. किसी भी फिल्म में कैसे डायलॉग डिलीवरी होनी चाहिए, चेहरे के भाव कितने आवश्यक हैं, इन चीजों पर लोगों का और पूरी इंडस्ट्री का ध्यान आकर्षित किया. प्रोफेसर ने बताया कि दिलीप कुमार से पहले की फिल्मों में कई गाने हुआ करते थे. कलाकार की डायलॉग डिलीवरी बहुत कम होती थी और कलाकारों को केवल सीधे एक जगह खड़े होकर डायलॉग बोलने होते थे.