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दधीचि देहदान समिति के साथ मिलकर ओर्बो चलाएगा ऑर्गन डोनेशन कैंपेन - ride for life aiims

ऑर्गन डोनेशन कैंपेन राइड फॉर लाइफ को अगले पड़ाव तक ले जाने उद्देश्य से एम्स ओर्बो के मेडिकल सोशल वेलफेयर अधिकरी राजीव मैखुरी दधीचि देहदान समिति के बड़े नेटवर्क का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है. इसके लिए उन्होंने समिति के अध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार से मुलाकात की.

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ओर्बो ऑर्गन डोनेशन कैंपेन

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Published : Nov 6, 2020, 9:09 PM IST

नई दिल्लीः ऑर्गन डोनेशन कैंपेन में तेजी लाने के उद्देश्य से एम्स के ऑर्गन रिट्रीवर बैंकिंग ऑर्गेनाइजेशन ने दधिचि देहदान समिति के बड़े नेटवर्क का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है. इस नेक काम को लेकर लोगों में जागरूकता आए इसके लिए अंगदान के प्रति जागरूकता फैलाने का काम करने वाले दो संस्थान अब मिलकर अंगदान के के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे. एम्स के ऑर्गन रिट्रीवर बैंकिंग ऑर्गेनाइजेशन के मेडिकल सोशल वेलफेयर अधिकारी राजीव मैखुरी ने दधिचि देहदान समिति के अध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार से मुलाकात की.

दधीचि देहदान समिति के साथ मिलकर ओर्बो चलाएगा ऑर्गन डोनेशन कैंपेन

राजीव ने बताया कि अंगदान को लेकर वह दधिचि देहदान समिति के साथ काफी समय से नेटवर्क करना चाहते थे, जिसको लेकर वह देहदान समिति के अध्यक्ष आलोक कुमार से मुलाकात की. राजीव ने आलोक कुमार को अंगदान के लिए जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने राइड फॉर लाइफ नाम से जो कैंपेन शुरू की है उसके बारे में बताया.

राइड फॉर लाइफ का बढ़ा दायरा

राजीव ने बताया कि दधिचि देहदान समिति का हेड क्वार्टर ग्रेटर कैलाश में है. वहां पहुंचकर समिति के अध्यक्ष आलोक कुमार से मुलाकात की और उन्हें उनकी राइड ऑफ लाइफ के बारे में बताया. दधिचि देहदान समिति के महासचिव कमल खुराना को भी अपने इस अभियान के बारे में बताया. आलोक कुमार और कमल खुराना दोनों ने ही उन्हें अंगदान की प्रति जागरूकता के लिए उनके द्वारा शुरू की गई राइड फॉर लाइफ अभियान को अपना समर्थन दिया.

अंगदान और देहदान के मामले में दधीचि देहदान समिति का एक बड़ा नाम है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और उनकी पत्नी इस समिति के पहले दे दान करने वालों में हैं. मेडिकल की स्टूडेंट के लिए और मेडिकल रिसर्च के लिए ह्यूमन बॉडी की जरूरत होती है. दधिचि देहदान समिति के पास जितने भी बॉडी डोनेशन होते हैं उन्हें मेडिकल कॉलेज में डोनेट कर दिया जाता है.

दधीचि ददेहदान समिति ने ह्यूमन बॉडी की डिमांड और सप्लाई की जो गैप थी, उसको पूरा करने में अहम भूमिका निभाई है. राजीव ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में जितने भी मेडिकल कॉलेज हैं, वहां जितने भी बॉडी की जरूरत होती है उनकी मांग की पूर्ति दधिचि देहदान समिति करती है. एम्स में भी समिति द्वारा दान की गई बॉडीज लाई जाती हैं.

एम्स के मेडिकल स्टूडेंट को भी मिलता है सहयोग

राजीव ने बताया कि एम्स ही नहीं, बल्कि दिल्ली एनसीआर के सारे मेडिकल कॉलेज में दधिचि देहदान समिति द्वारा मानव शरीर उपलब्ध कराया जाता है. इसकी शुरुआत आलोक कुमार ने की. दधिचि देहदान समिति का एक बहुत बड़ा नेटवर्क है. अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए उनकी इस नेटवर्क का इस्तेमाल करना चाहते हैं.

दिल्ली को उन्होंने 9 जिलों में बांटा हुआ है. पूरे 9 जिलों में जितने भी पदाधिकारी हैं, उनसे मिलने की योजना है. कोरोना की वजह से फिजिकल तो नहीं, लेकिन वर्चुअल फॉर्म में सभी से मिलने की कोशिश करेंगे. अच्छी बात यह है कि आलोक कुमार ने राजीव को उनके बड़े नेटवर्क का इस्तेमाल करने की सहमति दे दी है.

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